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रघुवर ने जानबूझ कर लैप्स करवाया था सांसद फंड का पैसा, लोकसभा में टिकट भी कटवाया: रामटहल

रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने आरोप लगाया है कि तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सांसद फंड का पैसा लैप्स करवा दिया था. यह सांसद की छवि खराब करने की साजिश थी. उससे पहले कभी सांसद फंड का पैसा लैप्स नहीं हुआ था. रामटहल का कहना है कि बीजेपी का नया ट्रेंड और नीति उस वक्त भी उन्हें पसंद नहीं थी, जब वे बीजेपी में हुआ करते थे. सरकार के कामकाज में बीजेपी का अनावश्यक दखल रहा है. इसका वे विरोध करते रहे हैं. बीजेपी में रहते हुए सरकार की गैरवाजिब नीतियों का विरोध करते-करते वे न जाने कब पार्टी नेताओं की आंखों में चुभने लगे, पता ही नहीं चला. लोकसभा चुनाव की पूरी तैयारी करने के बाद टिकट काट दिया गया. रामटहल यह मानते हैं कि टिकट कटवाने में भी रघुवर दास की पूरी भूमिका थी. उनके फीडबैक के आधार पर ही केंद्रीय नेतृत्व ने टिकट काटने का फैसला लिया.2019 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने और हारने के बाद रामटहल फिलहाल राजनीतिक गतिविधियों से दूर हैं, लेकिन सोशल एक्टिविटी चालू है. नागरिक विकास परिषद नाम के एक नन पॉलिटिकल बैनर के जरिये लोगों से रूबरू हो रहे हैं. 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी है, लेकिन इस बार रामटहल पुरानी गलती नहीं दोहराने वाले हैं. किसी न किसी पार्टी से ही चुनाव लड़ेंगे.
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कांग्रेस, जेएमएम, आप, जेडीयू और टीएमसी जैसी पार्टियां उनके संपर्क में हैं. रामटहल किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे ये 2022 में तय करेंगे.रामटहल चौधरी दोबारा किसी सूरत में बीजेपी की ओर देखना नहीं चाहते. कहते हैं अटल, आडवाणी और जोशी जैसे नेताओं के साथ काम किया था तब पार्टी में लोकतंत्र था, लेकिन मोदी गद्दी में बैठते ही तानाशाह बन गये. आडवाणी, जोशी जैसे नेताओं को किनारे कर दिया. ‘’हम राजधानी से चुनाव जीतकर संसद जाते थे. केंद्रीय मंत्री रहते सुबोधकांत सहाय को हराया. इसका कभी कोई रिवार्ड नहीं मिला. बस सांसद ही बनाये रखा. संसद की समितियों में भी अध्यक्ष तक नहीं बनाया गया, लेकिन कभी शिकायत नहीं की. सबकुछ बर्दाश्त करने के बाद मेरा ही टिकट काट दिया, जिसने जनसंघ के समय से संगठन की झारखंड में खड़ा किया.‘’रामटहल चौधरी को इस बात का भी काफी दुख है कि बीजेपी के कई नेताओं के बेटों को टिकट दिया गया. जो लोग जनता के बीच कभी गये नहीं, जो नेता नहीं थे वैसे पैरवीपुत्रों को टिकट मिला, लेकिन उनके बेटे को नहीं दिया गया. जबकि उनके पुत्र रणधीर बीजेपी के रांची (ग्रामीण) के जिलाध्यक्ष थे. रामटहल ने बताया कि 2019 में चुनाव के कुछ दिन पहले सौदान सिंह का फोन आया था. बोले 71 साल से अधिक उम्र हो गया है इसलिए इस्तीफा दे दीजिए. तब उन्होंने कहा कि चुनाव की सारी तैयारियों हो चुकी है और अगर टिकट काटना ही है तो बेटे को टिकट दे दीजिए. इसपर सौदान सिंह बोले सोचते हैं और फिर वे भी सोचते रह गये और हम भी सोचते रह गये.
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