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बापू का अनूठा संग्रह.

Team Drishti,

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है आज हर भारतीय राष्ट्रपिता को याद कर रहा है, और उनके आदर्शों पर चलनें की बात कह रहा है. रांची के एक ऐसे ही गांधीजी के अनुयायी हैं जो न सिर्फ गांधीजी के बताये रास्ते पर चलनें की कोशिश करते हैं बल्कि गांधीजी से जुड़ी तमाम चीजों का संग्रह करनें का भी जुनून है.

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कहते हैं शौक बड़ी चीज होती है, पर शौक को जुनून में बदलने का नाम है डॉ विभूति भूषण रॉय. डॉ रॉय गांधी और उनके दर्शन से इतने प्रभावित हुए की इन्होंने गांधी जी के दुर्लभ डाक टिकटों का एक अनुपम संग्रह अपने पास संजो कर रखने लगे. डॉ रॉय की दशकों की मेहनत, लगन और जुनून का ही नतीजा है कि आज उनके पास देश- विदेश की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी दुर्लभ डाक टिकटो का संग्रह तैयार कर लिया है. जिसमे आजादी के पूर्व से लेकर आज तक के बापू से जुड़ी डाक टिकटें संग्रहित हैं.

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बापू से जुड़ी इन डाक में ना केवल भारत बल्कि विदेशों में भी बापू से जुड़ी डाक टिकटें शामिल हैं. पेशे से बैंकर डॉ रॉय के इस अजीबो-गरीब शौक का आलम ये है कि अगर राँची में डाक विभाग को बापू के जीवन से जुड़ी डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगानी होती है तो वे भी डॉ रॉय से संपर्क करते हैं.

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रांची के रहने वाले डॉक्टर विभूति भूषण राय भारतीय स्टेट बैंक के एचईसी सेक्टर- 2 में काम करते हैं. बापू के जीवन से जुड़ी डाक टिकटों को इकट्ठा करके रखना उनका बचपन से ही शौक रहा है. उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों और प्रदेशों से इकट्ठा कर इस संग्रह तैयार किया है. इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों और सगे संबंधियों की भी मदद ली. डॉ रॉय को जब भी मौका लगता है वो अपने इस शौक को पूरा करने में लग जाते हैं. डॉ राय केवल बापू से जुड़ी टिकटों और पत्रों का ही संग्रह नहीं करते हैं बल्कि बापू को अपने अंदर आत्मशात करने की भी कोशिश करते हैं. यही नही डॉ रॉय की गांधी से जुड़ी इस अनुपम संग्रह की दुनिया मे आजादी के पूर्व गांधी के हाँथों छपरा के किसी अपने अधिवक्ता को लिखी एक पोस्टकार्ड चिट्ठी इस संग्रह को अद्वितीय बना रहा है, क्योंकि विचार मरा नहीं करते जैसे गांधी.

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