लोकतांत्रिक मुस्लिम संगठन की बैठक संपन्न.
लातेहार, मो०अरबाज.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!चंदवा : लोकतांत्रिक मुस्लिम संगठन की बैठक हाजी फिरोज अहमद की अध्यक्षता में तिलैयाटांड़ में संम्पन हुई। बैठक में वक्ताओं ने कहा है कि राज्य की युपीए नेतृत्व वाली मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि सत्ता में आते ही झारखंड में सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू किया जाएगा। अब समय आ गया है कि सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करें, कहा कि जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के 10 साल पूरा हो गए हैं, लेकिन इसकी लगातार अनदेखी की जा रही है। कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट ने असलियत से पर्दा उठाने का काम किया है, मुस्लिमों को उनके अधिकार मिलने चाहिए, आज के समय में मुस्लिमों की स्थिति बद से बदतर हुई है। संविधान के तहत हम सभी एक समान है, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आज भी उतनी प्रासंगिक है जितनी वह पहले थी, सच्चर कमिटी की रिपोर्ट एक जाना – माना ऐतिहासिक दस्तावेज है, इस रिपोर्ट के जरिए मुस्लिम समाज के बहाने पूरी भारतीय समाज की तरक्की की बात की गई है।
आज सिर्फ जीवन जीने के लिए सिर्फ रोटी ही नहीं बल्कि समानता, सुरक्षा, पहचान और सम्मान भी चाहिए। आज अल्पसंख्यक समुदाय में जिन लोगों के पास भौतिक संसाधन मौजूद हैं उन्हें भी नागरिक के नाते सम्मान नहीं मिलता जिसके वे संविधान के तहत वह हकदार हैं, सच्चर कमिटी की रिर्पोट के अनुसार मुस्लिम समाज सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर खासा पिछड़ा हुआ है, और इनका स्तर नीचे गिरता जा रहा है। सच्चर कमेटी की सिफारिश से पहले भी कई सिफारिशें की गई मगर यह अलग और अनूठी रिपोर्ट है, ऐसी चर्चित रिपोर्ट के बावजूद अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ रहा है, सबका साथ सबका विकास एक भावनात्मक जुमला है, वास्तविकता इसके उलट है। विविधता भारत की पहचान है, इस कमिटी की सिफारिशों पर आजतक अमल बहुत कम और वादे बहुत ज्यादा हुए हैं, हमें एक समतामूलक, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष समाज की ओर बढ़ना चाहिए था, मगर नतीजा उसके उलट है। बैठक में सच्चर कमिटी की सिफारिशों को शीघ्र ही लागू करने की मांग की गई है, इसको लेकर आगामी 15 नवंबर को लातेहार में बैठक करने का निर्णय लिया गया है।
इस अवसर पर अयुब खान, असगर खान, शमसेर खान, बाबर खान, बेलाल अहमद, मो0 मुर्तजा, हातीम अंसारी, अब्दुल रब, मो0 दाउद अंसारी, महबुब अंसारी, अकबर अंसारी, मुस्तफा अहमद, मो0 नईम, हातिम अंसारी, मो0 मोहसिन, समशुल अंसारी, महबूब अंसारी, साजीद खान, हातिम अंसारी, मो0 तनवीर, मो0 समीम, मो0 काजीम अंसारी, मो0 ऐनुल अंसारी, मो0 जमील आलम, समीम अंसारी, मो0 साजिर, मो0 नईम, मो0 सेराज अंसारी, मो0 मुस्ताक, मो0 एकराम, मो0 राजा खान, खलील मियां समेत कई मुस्लिम बुद्धिजीवी समाजसेवी शामिल थे।





