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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने देशभर के आदिवासी प्रतिनिधियों को किया संबोधित : “हम बिखरे लोग नहीं, एक राष्ट्र-समुदाय हैं”

रांची : कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देश के 11 राज्यों से आए सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस मौके पर प्रतिनिधियों ने एक स्वर में आदिवासी हक-अधिकारों के लिए एकजुट संघर्ष करने तथा देशव्यापी आदिवासी आंदोलनों का नेतृत्व मुख्यमंत्री सोरेन से करने का आग्रह किया।

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झारखंड की धरती हमेशा से वीरता और स्वाभिमान की प्रतीक– मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड की पावन धरती धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा से लेकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन तक अनेक महान स्वतंत्रता सेनानियों एवं आदिवासी नायकों की तपोभूमि रही है। इन वीरों-वीरांगनाओं के त्याग और बलिदान ने आदिवासी अस्मिता को नई ऊंचाइयां दी हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने मानव सभ्यता के निर्माण और प्रकृति संरक्षण में ऐतिहासिक योगदान दिया है, इसलिए आज एकता और जागरूकता की जरूरत पहले से कहीं अधिक है।

संस्कृति की रक्षा, शिक्षा की प्रगति और प्रकृति का संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि झारखंड सरकार आदिवासी संस्कृति, भाषा, पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सामाजिक, बौद्धिक एवं शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में झारखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां सरकारी खर्च पर आदिवासी छात्र-छात्राएं विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

हेमंत सोरेन ने कहा, “आदिवासी समाज में एक नई रोशनी जगी है। इसे और प्रखर करना हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। सरकार आपके हर कदम पर साथ है और हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है।”

प्रकृति संरक्षण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का सच्चा उपासक है। हमारे पूर्वजों ने जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दी, लेकिन आज जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सुखाड़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं। इसलिए प्रकृति से संतुलन बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

एकजुटता और आत्मनिर्भरता से ही होगा सर्वांगीण सशक्तीकरण

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि पूरे देश में आदिवासी समाज सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बने और आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़े। उन्होंने घोषणा की कि आने वाले दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी अधिकारों एवं अस्तित्व की रक्षा के लिए व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा, जिसमें वे स्वयं सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा, “हमें ऐसा संघर्ष करना है कि हमारी समस्याएं सिर्फ आवाज न रह जाएं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बनें। हमें यह साबित करना है कि हम बिखरे हुए लोग नहीं, एक राष्ट्र-समुदाय हैं और इतिहास के कोने से निकलकर भविष्य के केंद्र में पहुंचना है।”

देशभर के प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार की पहल की सराहना की

गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित 11 राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार द्वारा आदिवासी सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदमों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और राज्य सरकार के साथ निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया। सभी ने एक स्वर में दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम में मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन, विधायक अशोक चौधरी सहित सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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