गुंडा बिहार स्टेशन में दिखा हाथियों का झुंड, यह वन्यजीवों की सुरक्षा बल्कि रेलवे संचालन के लिए भी खतरा
आइए इसका विश्लेषण और कुछ संभावित कारण समझने की कोशिश करते है।
हाथियों की आवाजाही:
दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी से भोजन और पानी की तलाश में निकला हाथियों का झुंड (15 बड़े और 5 छोटे हाथी) गुंडा जंगल और रेलवे ट्रैक के आसपास देखा गया।
भीषण गर्मी के कारण ये हाथी जलाशयों और डैम की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसके लिए वे रेलवे ट्रैक पार करते हैं।
यह झुंड पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले से अयोध्या पहाड़ और धनुडीह होते हुए सरायकेला में प्रवेश करता है, जहां भोजन और पानी उपलब्ध है।
जोखिम:
रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी से ट्रेन हादसों का खतरा बढ़ जाता है, जो हाथियों और यात्रियों दोनों के लिए घातक हो सकता है।
पहले भी राउरकेला जैसे क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जहां 28 हाथियों का झुंड रेलवे ट्रैक पर देखा गया था।
मुख्य कारण:
गर्मी के कारण पानी और भोजन की कमी, जिसके चलते हाथी अपने प्राकृतिक कॉरिडोर से बाहर निकल रहे हैं।
रेलवे ट्रैक और जंगल के बीच कोई सुरक्षित कॉरिडोर न होना।
वन विभाग और सरकार की ओर से इस दिशा में ठोस कदमों की कमी।
संभावित समाधान:
हाथी कॉरिडोर का निर्माण:
गुंडा बिहार रेलवे स्टेशन के आसपास एक समर्पित हाथी कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए, ताकि हाथी सुरक्षित रूप से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जा सकें, बिना रेलवे ट्रैक पार किए।
कॉरिडोर के निर्माण से हादसों की संभावना कम होगी और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास भी सुरक्षित रहेगा।
जलाशयों और भोजन की व्यवस्था:
दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी और आसपास के जंगलों में कृत्रिम जलाशय और भोजन की व्यवस्था की जाए, ताकि हाथियों को जंगल छोड़कर बाहर न जाना पड़े।
गर्मी के मौसम में विशेष रूप से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है।
रेलवे और वन विभाग की समन्वित कार्रवाई:
रेलवे को ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी की निगरानी के लिए सेंसर, ड्रोन या थर्मल कैमरे जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
वन विभाग को रात और सुबह के समय हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती करनी चाहिए।
जाहिर है गुंडा बिहार रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर हाथियों की आवाजाही एक बार-बार होने वाली घटना है, जो प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अपर्याप्त योजना का परिणाम है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब वन विभाग, रेलवे और स्थानीय प्रशासन मिलकर काम करें। कॉरिडोर निर्माण और जल-भोजन की व्यवस्था जैसे कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए, ताकि हाथियों और मानव दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।