Budget 2023:-विधायक प्रदीप यादव ने अपनी ही सरकार को सदन में घेरा, कांट्रैक्ट औऱ आउटसोर्स की नियुक्ति पर खड़े किए सवाल
Budget 2023
प्रेरणा चौरसिआ
Drishti Now Ranchi
सदन में विधायक प्रदीप यादव ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान राज्य में आउट सोर्स और कांट्रैक्ट पर हुई नियुक्तियों को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा। उन्होंने चेयर के माध्यम से सरकार से जानना चाहा कि सरकार में कांट्रैक्ट पर जो नियुक्तियां की गयी हैं, उन नियुक्त कर्मियों को सरकार रेगुलर कर्मियों की तरह समान वेतन नहीं दे रही है। प्रदीप यादव ने संविधान के अनुच्छेद 141 और 142 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार संविधान को नहीं मानती है। उन्होंने कहा कि राज्य में समान काम के लिए समान वेतन देने की व्यवस्था नहीं है।
संविधान के मुताबिक ही नहीं दिया जा सकता समान काम के लिए समान वेतन
विधायक प्रदीप यादव के इस सवाल पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि सरकार का अपना नियम है। समान वेतन इसलिए नहीं मिलता है क्योंकि नियमित ठंग से जो कर्मचारी नियुक्त होते हैं वो ओपन मार्केट से आते हैं। इस व्यवस्था में सरकार विज्ञापन निकालती है, नियुक्ति की परीक्षाएं ली जाती हैं। कम ही सेलेक्ट होते हैं, ज्यादा रिजेक्ट हो जाते हैं। तब उनकी नियुक्ति होती है और फिर उन्हें ट्रेनिंग में भेजा जाता है। ट्रेनिंग के बाद कंर्फमेशन होता है। यहां सभी उम्मीदवारों को समान अवसर दिया जाता है, जैसा संविधान ने तय कर रखा है। कांट्रैक्ट या आउट सोर्स में क्या होता है। यहां कुछ लोग आते हैं। एक कमिटी होती है जो चयन करती है। इसके बाद उन्हें रख लिया जाता है। यहां पद के अनुसार आवेदक भी लिमिटेड होते हैं। ऐसे में राज्य या क्षेत्रीय कमिटी इन्हें रखती है। इसी सिद्धांत के आधार पर इक्वल पे नहीं दिया जाता है। मूल वेतन के साथ टीए इन्हें दिया जाता है। यह संविधान पर आधारित है।
सरकार ही मान रही कांट्रैक्ट की नियुक्तियां अवैध
इस पर प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार के इस जवाब के मुताबिक कांटैक्ट या आउट सोर्स पर होने वाली नियुक्तियां संवैधानिक नहीं है। जो स्थायी नियुक्तियां हैं, वही संवैधानिक है। मेरा सवाल है कि सरकार को अगर इस तरह की नियुक्तियां संवैधानिक नहीं लगती हैं तो फिर हड़बड़ी में जरूरत से हिसाब से नियुक्तियां क्यों करती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की अवैध नियुक्तियां राज्य में धंधा बन गयी हैं, इस पर सरकार लगाम लगाए। यह सुझाव मैं देता हूं। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार ही इस तरह की नियुक्ति को वैध नहीं मानती तो सरकार को वैध काम करने से कौन रोक रही है। सदन में उसका नाम सरकार को बताना चाहिए।
आउट सोर्स पर हो रही नियुक्ति में हो रहा शोषण
आउट सोर्स पर हो रही नियुक्ति में शोषण हो रहा है। कांट्रैक्ट में भी ऐसा ही है। सरकार इसे तत्काल रोके। आउट सोर्स और कांट्रैक्ट पर हुई नियुक्तियों के लिए जो समिति बनी वह गंभीर नहीं है। समिति को बने दो साल से अधिक हो गए, पर वे आज तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपे हैं। प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य में हो रही आउट सोर्स की नियुक्तियां शोषण का माध्यम बन गयी हैं। उन्होंने चार उदाहरण देते हुए सदन में कहा कि हरित फाउंडेशन को समग्र शिक्षा अभियान के तहत कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति करने को कहा गया था। इन्होंने पैसे लेकर नियुक्ति की। नौ महीने काम करने के बाद उन्हें वेतन नहीं दिया गया। अगर सरकार इस तरह के सिस्टम को बंद नहीं करेगी तो राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा।