Cabinet News:-सरकारी नौकरियों का रास्ता साफ, पुरानी नियमावली लागू, राज्य से मैट्रिक-इंटर पास करने की अनिवार्यता खत्म होगी
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प्रेरणा चौरसिआ
Drishti Now Ranchi
झारखंड में फिर पुरानी नियुक्ति नियमावली ही लागू होगी। सरकार ने 2015 की नियुक्ति नियमावलियों में जिन अतिरिक्त शर्तों को 2021 में जोड़ा था, उसे वापस ले लिया है। यानी 2015 में बनी नियुक्ति नियमावलियों के तहत ही तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्तियां होगी। इससे राज्य में नियुक्तियों का रास्ता खुल गया है। वर्ष 2015 की नियुक्ति नियमावलियों में हेमंत सोरेन की सरकार ने 2021 में तीन महत्वपूर्ण शर्तें जोड़ी थीं। पहला-आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को छोड़ अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों को झारखंड से ही मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास करना अनिवार्य था।
इसके अलावा 15 क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी को हटा दिया गया था। इस सूची में केवल हो, मुंडारी, खरिया, पंचपरगनिया समेत कुल 12 भाषाएं ही रह गई थीं। साथ ही एक अन्य शर्त भी जोड़ गई थी, जिसके तहत अभ्यर्थी को स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा और परिवेश का ज्ञान होना अनिवार्य था। कैबिनेट की गुरुवार को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। साथ में जोड़ा गया है कि क्षेत्रीय भाषा की परीक्षा 100 नंबर की और वस्तुनिष्ठ होगी। हिंदी, संस्कृत ओर अंग्रेजी फिर क्षेत्रीय भाषा की सूची में जुड़ेगी।
हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी फिर क्षेत्रीय भाषा की सूची में जुड़ेगी
2015 की नियुक्ति नियमावली में क्या : थर्ड-फोर्थ ग्रेड की नौकरियों के लिए 2015 में बनी नियमावलियों में स्थानीय होने की शर्त शामिल है। स्थानीय कौन,-उसकी परिभाषा राज्य सरकार ने अलग से अधिसूचित कर रखी है। 1985 से पहले झारखंड में निवास करनेवाला, झारखंड से मैट्रिक की परीक्षा पास करनेवाला और केंद्र, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के वैसे प्रतिष्ठान जिसके कर्मचारी-अधिकारी झारखंड में तैनात हैं, वही स्थानीय कहलाएंगे।
1932 का खतियान अब जरूरी नहीं : राज्य सरकार ने स्थानीय को परिभाषित करने के लिए विधानसभा से विधेयक पास किया था। उसमें 1932 या उससे पूर्व के खतियानधारी को स्थानीय माना था। इस विधेयक को राज्यपाल ने वापस कर दिया था। इस कारण स्थानीय की वही परिभाषा राज्य में प्रभावी है, जो पूर्व की सरकार ने बनाई थी। ओबीसी का आरक्षण 14 से 27 फीसदी किए जाने संबंधी विधेयक भी राज्यपाल द्वारा वापस कर दिए जाने की वजह से पूर्व की आरक्षण नीति ही राज्य में अब प्रभावी रहेंगी।
10वीं-12वीं के टॉपर्स काे तीन लाख का पुरस्कार: जैक, सीबीएसई और आईसीएसई के 10वीं और 12वीं के टॉपर्स को तीन लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। वहीं दूसरे स्थान पर रहने वालों को दो लाख और तीसरे स्थान पर रहने वालों को एक लाख रुपए दिए जाएंगे। 12वीं में तीनों संकायों के टॉपर्स को पुरस्कार राशि दी जाएगी। इसके अलावा 60 हजार रुपए तक का लैपटॉप और 20 हजार रुपए तक का मोबाइल भी जाएगा।
ओलिंपिक में गोल्ड जीतने पर अब 5 करोड़
राज्य सरकार ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण, कांस्य और रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और इससे जुड़े प्रशिक्षकों की पुरस्कार राशि में बढोतरी की है। अब समर और विंटर ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतनेवाले खिलाड़ी को दो करोड़ की जगह पांच करोड़ रुपए मिलेंगे। जिन खेलों के लिए पहले कोई पुरस्कार राशि नहीं थी, उसमें भी पुरस्कार देने का फैसला लिया गया है।
खेल पदक पहले अब समर-विंटर ओलंपिक स्वर्ण दो करोड़ पांच करोड़ रजत एक करोड़ तीन करोड़ कांस्य 75 हजार दो करोड़ भागीदार 5 लाख 7 लाख पारा ओलिंपिक स्वर्ण —- 25 लाख रजत —- 15 लाख कांस्य —– 10 लाख भागीदार —- डेढ़ लाख यूथ ओलंपिक गेम्स स्वर्ण 10 लाख 25 लाख रजत 7 लाख 15 लाख कांस्य 5 लाख 10 लाख भागीदार 50 हजार डेढ़ लाख