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चाईबासा के सारंडा जंगल में आईईडी ब्लास्ट में घायल हाथी की इलाज के दौरान मौत

चाईबासा के सारंडा जंगल में आईईडी ब्लास्ट में घायल हाथी की इलाज के दौरान मौत

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चाईबासा, झारखंड: सारंडा जंगल, जो अपनी घनी हरियाली और समृद्ध जैव-विविधता के लिए जाना जाता है, एक दुखद घटना का गवाह बना। नक्सलियों द्वारा लगाए गए एक आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट में घायल हुए एक हाथी की शनिवार (5 जुलाई ) देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई। यह हाथी पिछले दस दिनों से गंभीर रूप से घायल था और लगातार रक्तस्राव के कारण उसकी हालत बेहद नाजुक हो गई थी।

घटना का विवरण
वन विभाग के अनुसार, यह हाथी सारंडा जंगल के दीघा क्षेत्र में लगभग दस दिन पहले एक आईईडी विस्फोट का शिकार हुआ था। नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए इस विस्फोटक उपकरण ने जंगल में विचरण कर रहे इस हाथी को गंभीर रूप से घायल कर दिया। विस्फोट से हाथी के शरीर में गहरे घाव हो गए थे, जिससे लगातार रक्तस्राव और बाद में संक्रमण ने उसकी स्थिति को और गंभीर कर दिया।

पिछले कुछ दिनों से वन विभाग की टीमें इस घायल हाथी की खोज में थीं। शुक्रवार को दीघा क्षेत्र में इसकी लोकेशन का पता चला, जिसके बाद वन विभाग ने गुजरात की प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षण संस्था *वनतारा* की मेडिकल टीम के साथ मिलकर बचाव अभियान शुरू किया।

बचाव और इलाज का प्रयास
शनिवार देर शाम वन विभाग और वनतारा की मेडिकल टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद हाथी को ट्रेंकुलाइज किया। इसके बाद उसे दीघा से जराईकेला लाया गया, जहां विशेषज्ञों की एक टीम ने इसका इलाज शुरू किया। इलाज के दौरान पशु चिकित्सकों ने घावों की सफाई, रक्तस्राव को रोकने और संक्रमण को नियंत्रित करने की कोशिश की। हालांकि, हाथी की हालत पहले से ही इतनी गंभीर थी कि गहन चिकित्सा प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। शनिवार देर रात इलाज के दौरान इस विशालकाय प्राणी ने दम तोड़ दिया।

वनतारा की मेडिकल टीम के एक सदस्य ने बताया कि हाथी के घावों में गंभीर संक्रमण फैल चुका था, और लंबे समय तक रक्तस्राव के कारण उसका शरीर कमजोर हो गया था। “हमने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन इतने दिनों तक इलाज न मिलने और गहरे घावों के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस घटना को दुखद बताते हुए कहा, “सारंडा जंगल में हाथियों की आबादी पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है। नक्सली गतिविधियों के कारण इस तरह की घटनाएं जंगल के वन्यजीवों के लिए बड़ा खतरा बन रही हैं।”

सारंडा जंगल और नक्सली खतरा

सारंडा जंगल, जो भारत के सबसे घने और जैव-विविधता से भरपूर जंगलों में से एक है, लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है। नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए आईईडी और अन्य विस्फोटक उपकरण न केवल मानव जीवन के लिए खतरा हैं, बल्कि जंगल के वन्यजीवों, खासकर हाथियों जैसे बड़े स्तनधारियों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं।

हाल के वर्षों में, इस क्षेत्र में कई हाथी और अन्य वन्यजीव आईईडी विस्फोटों का शिकार हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन विस्फोटकों का उपयोग जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे वन्यजीवों का जीवन खतरे में पड़ रहा है।

 वन विभाग और वनतारा की भूमिका

वनतारा, जो गुजरात के जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा संचालित एक वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है, ने इस घटना में त्वरित कार्रवाई करते हुए अपनी विशेषज्ञता का परिचय दिया। उनकी मेडिकल टीम ने स्थानीय वन विभाग के साथ मिलकर न केवल इस हाथी के इलाज में सहयोग किया, बल्कि इस तरह की आपात स्थितियों के लिए भविष्य की रणनीतियों पर भी चर्चा शुरू की है।

गौरतलब है की इस दुखद घटना ने एक बार फिर जंगल में नक्सली गतिविधियों और उनके वन्यजीवों पर प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ा दी है। वन विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और नक्सलियों द्वारा लगाए गए अन्य संभावित विस्फोटकों का पता लगाने के लिए जंगल में तलाशी अभियान तेज करने की योजना बनाई है। साथ ही, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी और त्वरित चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा रहा है।

 

 

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