मेडिकल की पढ़ाई करने पहुँचे छात्रों का भविष्य सरकार की लापरवाही के कारण अधर में लटका.
दुमका : झारखंड के दुमका में डॉक्टर बनने की सपना लेकर मेडिकल की पढ़ाई करने पहुँचे छात्रों का भविष्य सरकार की लापरवाही के कारण अधर पर लटक गया है। कॉलेज में पढ़ाई के लिए ना किताब उपलब्ध है और ना ही प्रैक्टिकल के लिए प्रयोगशाला। शिक्षकों की कमी और सुविधाओं का आभाव में भविष्य को अंधकार देख मेडिकल के छात्रों ने इस व्यवस्था के खिलाफ काला बिल्ला लगाकर आंदोलन पर उतर गये है।
झारखंड के दुमका में स्थित फूलों-झानों मेडिकल काँलेज में पढ़ने के बजाय काला बिल्ला लगाकर सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे ये मेडिकल के पहले बैच के छात्र है, जिन्हें नामांकन के डेढ़ साल के बाद भी मेडिकल की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी। चुकी इस मेडिकल कॉलेज में भवन तो बना पर छात्रों को पढ़ाई के लिए सरकार ने ना ही पुस्तके करा पायी और ना ही पढ़ाने के लिए उचित शिक्षक। डॉक्टर बनने की सपना लेकर बाहर से दुमका पहुँचे छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लग गया है।
आंदोलन कर रहे छात्रो के मुताबिक कॉलेज में पिछले डेढ़ साल से प्रयोगशाला के आभाव में सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाई प्रेक्टिकल से अछूता रहे। यहाँ फेकल्टी, इलेक्ट्रिसिटी और टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के आभाव से जूझ रहे छात्रों ने इसकी शिकायत राज्य के मंत्री, जिले के डीसी और कॉलेज के प्रिंसिपल से की लेकिन उन्हें सुविधा मुहैया कराने के बजाय उन्हें कोरा सिर्फ आश्वासन ही मिला जबकि इन छात्रों की परीक्षा मात्र एक महीने शेष रह गये है। ऐसे में यहाँ पढ़ रहे 95 छात्र छात्राओं ने सरकार और प्रशासन के विरुद्ध काला बिल्ला लगा कर मोर्चा खोल दिया है।
गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 फरवरी 2019 को फूलों झानो मेडिकल कॉलेज दुमका का ऑनलाइन उदघाटन किया था जहां नेट के माध्यम अगस्त 2019 करीब 95 छात्रों ने अपना नामांकन कराया। लेकिन नामांकन के बाद से ही यहां पढ़ाई को लेकर समस्या बनी रही। कॉलेज में पहले से ही शिक्षकों की कमी तो रही ही यहां पढ़ाई कर रहे छात्रों को किताब और सबसे महत्वपूर्ण प्रयोगशाला का आभाव से अछूता रहना पड़ा। अब ऐसे में छात्र अपने सपनो को अधर में लटकता देख बाध्य होकर कॉलेज और सरकार के रवैये के खिलाफ धरना पर बैठ गये है। इधर इस मामले में छात्रों के भविष्य के साथ हो रहे लापरवाही को लेकर हमने कॉलेज के प्रिंसिपल से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की लेकिन रिसीव किया ही नही। हालांकि झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने जल्द इस समस्या को दूर करने के लिए आज होने वाली झारखंड के कैबिनेट बैठक में रखने का भरोसा दिया है।
कहते है कि डॉक्टर बनने के लिए शरीर का ज्ञान होना अतिआवश्यक होता है और इसके लिए प्रेक्टिकल महत्वपूर्ण है, लेकिन दुमका में पिछले डेढ़ साल से एमबीबीएस की पढ़ाई करने पहुँचे छात्र प्रयोगशाला के आभाव में प्रेक्टिकल नही कर पाये हैं। ऐसे में छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना सरकार और कॉलेज प्रशासन के वजह से अधर में लटक गया है। जरूरत है सरकार को इस दिशा में ठोस पहल कर सुविधाओ को बहाल करे ताकि भविष्य के सपने संजोये इन छात्रों को सही मकाम मिल सके।
दुमका, विकास कुमार.