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झारखंड चुनाव में हो रहा पहले आप..पहले आप…पहले आप…आप …आप..

 

सत्तर के दशक में बॉबी फ़िल्म की यह गीत काफी लोकप्रिय हुई थी….और लगभग पचास वर्षों के बाद झारखंड की राजनीति में यही स्थिति दिखाई दे रही है। आप सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर हम कहना क्या चाहते हैं।
दरअसल झारखंड में आगामी 13 और 20 नवम्बर को विधानसभा चुनाव होने हैं।पहले चरण के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है और नामांकन की प्रक्रिया भी जारी है। पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 25 अक्टूबर है।लेकिन अभी तक बड़े दलों और गठबंधन में प्रत्याशियों को लेकर सस्पेन्स बना हुआ है।NDA ने जहां कुछ उतार चढ़ाव की बात करते हुए सीट शेयरिंग का समीकरण जनता के सामने रखा।वहीं आज INDI गठबंधन ने भी सीट शेयरिंग की घोषणा की है।हालांकि INDI गठबंधन ने जो सीट शेयरिंग की बात की है वह फिजिकली तो दिखाई दे रहा है लेकिन anatomicaly दिखाई देने में थोड़ा वक्त और लग सकता है। हेमंत सोरेन की घोषणा के अनुसार 70 सीटों पर JMM और कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे।वहीं 11 सीटें RJD और लेफ्ट के लिए छोड़ी गई है। अब जबकि समय काफी कम बचा है खाका पूरी तरह से तैयार नही होना यह बताता है कि अंदरखाने अभी भी कई सीटों को लेकर विवाद बरकरार है।
सीट शेयरिंग के बाद प्रत्याशियों की बात करे तो भाजपा की ओर से झारखंड के सह प्रभारी हेमंता विश्व सरमा ने पूर्व में घोषणा की थी कि चुनाव की घोषणा के साथ ही 24 से 48 घंटे के भीतर प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी हो जायेगी।लेकिन 24 या 48 घंटे की बात तो दूर अब 72 घंटे के बाद भी कोई लिस्ट जारी नहीं हुई। इस बीच जमुआ से भाजपा के सिटींग विधायक केदार हज़रा और AJSU के केंद्रीय उपाध्यक्ष दोनों ने ही अपनी अपनी पार्टी से इस्तीफा देते हुए JMM का दामन थाम लिया है। जो दोनों ही दलों के लिए एक झटके से कम नहीं।
खबर लिखे जाने तक न तो INDI गठबंधन और न ही NDA गठबंधन की ओर कोई लिस्ट जारी हुई है। जाहिर सी बात है सभी अगले का मुंह देख रहे हैं। यानी पहले आप …पहले आप…की तर्ज पर अगले के लिस्ट पर निगाहें हैं… ताकि टिकट नहीं मिलने पर वैसे नेता को अपनी ओर खींचा जा सके जो जिताऊ हों….क्योंकि एक एक सीट दोनों ही गठबंधन के लिए सरकार बनाने की स्थिति में जरूरी होगा।
लेकिन पहले आप…पहले आप …कहते कहते कहीं इतनी देर न हो जाय कि विधानसभा पहुंचने की गाड़ी ही न छूट जाए….क्योंकि पूर्व में कई बार ऐसा भी हुआ है कि प्रत्याशी घोषित होने के बाद भी कुछ ऐसी तकनीकी कमियां रह जाती हैं जिससे प्रत्याशी हाथ मलते रह जाते हैं।

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