कर्नाटक हाईकोर्ट ने ओला, उबर और रैपिडो की बाइक-टैक्सी सेवाओं पर लगाया प्रतिबंध
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ओला, उबर और रैपिडो जैसी ऐप-आधारित बाइक-टैक्सी सेवाओं को राज्य में 16 जून, 2025 से संचालन बंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत स्पष्ट नियम और दिशानिर्देश तैयार नहीं करती, तब तक ये सेवाएं गैरकानूनी मानी जाएंगी।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!2 अप्रैल, 2025 को जस्टिस बी.एम. श्याम प्रसाद की एकल पीठ ने बाइक-टैक्सी संचालकों को छह सप्ताह (14 मई तक) का समय दिया था, जिसे बाद में 15 जून, 2025 तक बढ़ाया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना उचित नियमों के बाइक-टैक्सी सेवाएं संचालित नहीं हो सकतीं। 13 जून को, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार की खंडपीठ ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप 16 जून से सेवाएं बंद हो जाएंगी।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर बाइक-टैक्सी के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया था। हालांकि, परिवहन विभाग के सचिव एन.वी. प्रसाद ने कहा कि सरकार का फिलहाल ऐसी नीति बनाने का कोई इरादा नहीं है। परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने भी 15 जून की समयसीमा से पहले कोई टिप्पणी नहीं की।
कोर्ट का यह आदेश 2019 की एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें बाइक-टैक्सी के ट्रैफिक और सुरक्षा पर प्रभाव का मूल्यांकन किया गया था। सरकार ने तर्क दिया कि निजी उपयोग के लिए पंजीकृत (व्हाइट नंबर प्लेट) दोपहिया वाहनों का व्यावसायिक उपयोग मोटर वाहन अधिनियम के खिलाफ है। इसके अलावा, 2021 में शुरू की गई कर्नाटक इलेक्ट्रिक बाइक-टैक्सी योजना को मार्च 2024 में सुरक्षा चिंताओं और गैर-इलेक्ट्रिक बाइकों के दुरुपयोग के कारण वापस ले लिया गया था।
यह प्रतिबंध बेंगलुरु जैसे व्यस्त शहर में लाखों यात्रियों के लिए आर्थिक और तेज परिवहन के साधन को प्रभावित करेगा। रैपिडो ने बताया कि उसके 1.5 लाख राइडर्स और हर महीने 50 लाख से अधिक राइड्स इस फैसले से प्रभावित होंगे। रैपिडो के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम कर्नाटक में लाखों बाइक-टैक्सी कैप्टनों की आजीविका को लेकर चिंतित हैं और विस्तृत आदेश मिलने के बाद उचित कानूनी कदम उठाएंगे।”







