हूल दिवस के अवसर पर भाकपा राज्य कार्यालय में हूल क्रांति के शहीदो को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित किया गया.
रांची : हूल दिवस के अवसर पर भाकपा राज्यकार्यालय के सभागार में हूल क्रांति के पुरोधा सिद्ध कान्हू, चाँद भैरव, फूलो झानो को याद किया गया। और श्रधांजलि अर्पित किया गया।उसके बाद गोष्टि का आयोजन किया गया। गोष्टि को सम्बोदित करते हुए भाकपा के रांची के जिला सचिव अजय सिंह ने कहा कि 1855 में भोगनाडीह में सिद्धू कान्हो चाँद भैरव के अगुबाई मे जल जंगल जमीन का आंदोलन और उनकी शहादत झारखंड वासियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। हमारे पुरखों सिद्धू कानू चांद भैरव तिलका मांझी बिरसा मुंडा ने अपने कालखंड में जब देश गुलाम था अंग्रेजी हुकूमत थी तब उन्होंने अपनी जमीन जंगल पहाड़ बचाने के लिए जनता को चेतन सील किया और शहादत तक दिया। परिणाम हुआ की आजादी के समय भी झारखंड के जंगल जमीन खान खनिज सम्पदा महफूज रहा।
आजादी के बाद हमारे नेता जंगल जमीन की बात भी करते रहे ,और उसके बाद भी जमीन और जंगल झारखंड वासियों से लूटा गया झारखंड राज्य बनने के बाद भी जंगल जमीन की बात होती रही लेकिन वास्तव में राज्य सत्ता की लड़ाई में जल जंगल और जमीन भी छीना। किसानों के उत्पाद का वाजिब दाम भी नहीं मिला। किसान दूसरे दर्जे के नागरिक बनकर रह गए। आज तो सरकार पूंजीपतियों के लिए खुद जमीन छीन रही है। उसके लिए कोई कानूनों सीएनटी एक्ट एसपीटी एक्ट में संशोधन किया लेकिन झारखंड के किसानों ने पहली बार एकजुट होकर अलग अलग तरीके से भी आंदोलन किया जो अभी जारी है वर्त्तमान समय में एक और हूल और उलगुलान की जरुरत है महंगाई, मजदुर और किसानों के हक़ के लिए। देश को पूंजीपतियों के हितैषी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए।
इस मौके पर मेहुल मृगेंद्र ने कहा की आज देश में किसान आंदोलन जारी है और साथ ही साथ महंगाई अपने चरम पर है। वर्तमान दौर पर हमें महंगाई के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। इस मौके पर सभी कार्यकर्ताओं ने सिद्धू कान्हु की तस्वीर पर पुष्प अर्पण किया गया।। इस मौके पर अजय सिंह, मेहुल मृगेंद्र, फरजाना फारूकी, वीरेन्द्र विश्वकर्मा, अकरम रजा, मनोज ठाकुर, श्यामल, राजेश वर्मा, आलोक कुजूर और अन्य लोग मौजूद थे ।