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नेपाल में सियासी भूचाल: प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा, सेना ने संभाला कमान !

नेपाल में राजनीतिक संकट ने चरम रूप धारण कर लिया है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच नेपाली सेना ने कानून-व्यवस्था संभालने का जिम्मा ले लिया। जेन जेड आंदोलन के नाम से मशहूर यह प्रदर्शन भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए थे, लेकिन अब पूरे देश में फैल चुके हैं। कम से कम 22 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं।

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सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने देश को संबोधित करते हुए शांति की अपील की और कहा कि सेना कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए सड़कों पर उतर आएगी। सोमवार रात से ही सेना को संसद क्षेत्र में तैनात किया गया था, और मंगलवार को उन्होंने पूर्ण कमान संभाल ली। सेना ने हेलीकॉप्टरों के जरिए मंत्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। संयुक्त बयान में सेना और सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों ने राजनीतिक दलों से संवाद के जरिए संकट सुलझाने की अपील की।

यह संकट 4 सितंबर को शुरू हुआ, जब ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार का दावा था कि ये प्लेटफॉर्म नई कानून के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाए। लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना। प्रदर्शनकारियों ने #NepoKids और #NepoBaby जैसे हैशटैग के जरिए राजनीतिक परिवारों के लग्जरी जीवन पर निशाना साधा, जबकि नेपाल का प्रति व्यक्ति आय मात्र 1,400 डॉलर है।

प्रदर्शन जेन जेड (युवा पीढ़ी) के नेतृत्व में हैं, जो बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म से तंग आ चुके हैं। सोमवार को काठमांडू में पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट्स और लाइव फायरिंग की, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने संसद पर हमला किया, जिससे आग लग गई। संगठन हमी नेपाल के एक आयोजक अनिल बानिया ने कहा, “यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन था, लेकिन राजनीतिक गुटों ने हिंसा भड़काई।”

नेपाल 2008 में राजशाही समाप्त करने के बाद से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। तब से 14 सरकारें बनीं, लेकिन कोई भी पूर्ण पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

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