रामगढ़ : सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए एसडीपीओ गौरव गोस्वामी का प्रेरणादायक नेतृत्व
रामगढ़: सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए एसडीपीओ गौरव गोस्वामी का प्रेरणादायक नेतृत्व
झारखंड के रामगढ़ जिले के पतरातु अनुमंडल में 11 अप्रैल को एक सड़क दुर्घटना ने लोगो का ध्यान खींचा है। इस दुर्घटना में की गई मदद ने दो लोगो की जान बचा ली है। यह हो पाया पतरातु के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) गौरव गोस्वामी ने त्वरित निर्णय और संवेदनशीलता से , इसके साथ ही, उन्होंने आम जनता को सड़क हादसों में घायलों की सहायता के लिए प्रेरित करने का एक अनुकरणीय प्रयास किया।
घटना का विस्तृत विवरण
11 अप्रैल की शाम करीब 7:30 बजे, रामगढ़-पतरातु मुख्य मार्ग पर बलकुदरा के पास एक भीषण सड़क हादसा हुआ। एक मोटरसाइकिल, जिस पर दो युवक और एक महिला सवार थे, पतरातु डैम से भदानीनगर की ओर जा रही थी। जैसे ही मोटरसाइकिल जिंदल पार्किंग के पास पहुंची, वह अनियंत्रित हो गई और सड़क किनारे खड़ी एक ट्रक से जा टकराई। इस जोरदार टक्कर के कारण मोटरसाइकिल पर सवार तीनों व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी स्थिति इतनी नाजुक थी कि तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी।
उसी समय, संयोगवश, एसडीपीओ गौरव गोस्वामी अपने अंगरक्षकों—कांस्टेबल 507 महेश कुमार, कांस्टेबल 08 मनोहर कुमार महतो, और गृहरक्षक चालक 116 अरविंद कुमार सिंह—के साथ उस मार्ग से गुजर रहे थे। हादसे को देखते ही उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझा और बिना किसी देरी के कार्रवाई शुरू कर दी।
त्वरित कार्रवाई और अस्पताल पहुंचाने की प्रक्रिया
एसडीपीओ गौरव गोस्वामी ने सबसे पहले घटनास्थल पर मौजूद लोगों को संगठित किया। सड़क पर गुजर रहे एक ऑटो चालक, सूरज बेदिया, को उन्होंने रोका। सूरज ने तुरंत मानवीय भावना का परिचय देते हुए सहयोग करने का फैसला किया। गौरव गोस्वामी और उनकी टीम ने घायलों को सावधानीपूर्वक ऑटो में स्थानांतरित किया और नजदीकी सीसीएल अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, एसडीपीओ स्वयं घायलों के साथ अस्पताल तक गए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें तुरंत चिकित्सा सुविधा मिले और उनकी स्थिति पर नजर रखी जाए।
अस्पताल में चिकित्सकों ने घायलों का तुरंत इलाज शुरू किया। दुर्भाग्यवश, एक व्यक्ति की चोटें इतनी गंभीर थीं कि इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि, समय पर अस्पताल पहुंचाने के कारण अन्य दो घायलों की जान बच गई।
सहायकों का सम्मान और प्रोत्साहन
इस घटना के बाद, एसडीपीओ गौरव गोस्वामी ने इस मानवीय कार्य में सहयोग करने वालों की सराहना करने का फैसला किया। उन्होंने बासल थाना में एक विशेष समारोह आयोजित किया, जिसमें ऑटो चालक सूरज बेदिया और अन्य सहायकों को सम्मानित किया गया। गौरव गोस्वामी ने अपने निजी वेतन से नकद पुरस्कार देकर इन लोगों का हौसला बढ़ाया। इसके साथ ही, उन्होंने माला पहनाकर उनका सार्वजनिक रूप से सम्मान किया। इस कदम ने न केवल सहायकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की, बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया कि छोटे-छोटे प्रयास कितने बड़े बदलाव ला सकते हैं।
आम जनता के लिए प्रेरणादायक संदेश
इस घटना के बाद, एसडीपीओ गौरव गोस्वामी ने आम जनता, राहगीरों और पुलिस कर्मियों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को देखकर लोग पुलिस या कानूनी कार्रवाई के डर से पीछे न हटें। इसके बजाय, वे बिना संकोच के घायलों की मदद के लिए आगे आएं। उन्होंने बताया कि सड़क हादसों में घायलों के लिए पहला एक घंटा—जिसे ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है—बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान यदि घायल को अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो उसकी जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि मदद करने के बाद लोग पुलिस को सूचित करें, ताकि आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके।
सामाजिक प्रभाव
गौरव गोस्वामी का यह प्रयास सिर्फ एक घटना तक सीमित नहीं है। यह समाज में एक व्यापक बदलाव की शुरुआत हो सकता है। अक्सर लोग सड़क हादसों में घायलों की मदद करने से इसलिए हिचकिचाते हैं, क्योंकि उन्हें पुलिस पूछताछ, कानूनी पेचीदगियों, या अन्य जटिलताओं का डर रहता है। गौरव गोस्वामी ने अपने कार्य और संदेश के माध्यम से इस डर को दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मदद करना न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह कानून द्वारा भी संरक्षित है। भारत में ‘गुड समैरिटन लॉ’ के तहत, सड़क हादसों में मदद करने वालों को कानूनी परेशानियों से बचाने के प्रावधान हैं,
जाहिर है रामगढ़ की इस घटना में एसडीपीओ गौरव गोस्वामी ने न केवल एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई, बल्कि एक संवेदनशील इंसान के रूप में भी समाज के सामने एक मिसाल पेश की। उनके नेतृत्व में घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया।
रिपोर्ट: आकाश शर्मा, झारखंड