रांची बंद असरदार , बारिश के बावजूद डटे रहे प्रदर्शनकारी
रांची बंद असरदार , बारिश के बावजूद डटे रहे प्रदर्शनकारी
रांची में आदिवासी संगठनों द्वारा बुलाया गया बंद असरदार रहा । यह बंद आदिवासी सरना धर्म स्थल, सिरमटोली, के पास प्रस्तावित फ्लाईओवर निर्माण के विरोध में था। इस बंद का प्रभाव शहर के कई हिस्सों में देखा गया और यह शनिवार को सुबह से शुरू होकर देर शाम तक चला।

प्रदर्शन का स्वरूप और प्रभाव
- सड़क अवरोध: प्रदर्शनकारियों ने रांची के प्रमुख मार्गों को अवरुद्ध कर दिया। हिनु चौक, सिरमटोली चौक और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर बांस के बैरियर लगाए गए, जिनके साथ सरना झंडे प्रदर्शित किए गए। टायर जलाकर सड़कों को जाम किया गया, जिससे रांची को बाहरी क्षेत्रों जैसे बाहरी इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ने वाले रास्ते प्रभावित हुए।
- नारेबाजी और प्रदर्शन: बारिश के बावजूद प्रदर्शनकारी भारी संख्या में सड़कों पर डटे रहे। वे बैनर और तख्तियाँ लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे। “सरना स्थल बचाओ” और “आदिवासी अधिकारों की रक्षा करो” जैसे नारे प्रमुख थे।
- मौसम की चुनौती: बारिश होने के बावजूद प्रदर्शनकारियों का हौसला कम नहीं हुआ। वे भीगते हुए भी देर शाम तक विरोध में शामिल रहे,
संगठनों और नेताओं की भूमिका
- झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम): इस संगठन के वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने आंदोलन का नेतृत्व किया। वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ सशरीर सड़क पर उतरे और प्रदर्शन में शामिल हुए। महतो ने कहा कि यह बंद केवल विरोध नहीं, बल्कि आदिवासी मूलवासियों के हक और उनकी सांस्कृतिक पहचान को बचाने की लड़ाई है।
- मशाल जुलूस: बंद से एक दिन पहले, शुक्रवार संध्या को जयपाल सिंह स्टेडियम से अल्बर्ट एक्का चौक तक एक भव्य मशाल जुलूस निकाला गया। यह जुलूस सैकड़ों लोगों की भागीदारी के साथ आयोजित हुआ, जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक वेशभूषा और मशालों के साथ शामिल हुए। यह आयोजन बंद को व्यापक समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण रहा।
मांगें और तर्क
- सरना स्थल का संरक्षण: प्रदर्शनकारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि सिरमटोली सरना स्थल पर फ्लाईओवर निर्माण को रोका जाए। उनका कहना है कि यह स्थल उनके धार्मिक विश्वास का केंद्र है और इसे प्रभावित करना उनकी पहचान पर हमला होगा।
- आदिवासी बहुल राज्य का हवाला: देवेंद्र महतो ने अपनी मीडिया से कहा कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है, और सरकार को विकास के नाम पर उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचाने से बचना चाहिए।
प्रभाव और माहौल
- शहर पर असर: बंद के कारण रांची के कई इलाकों में दुकानें बंद रहीं, यातायात प्रभावित हुआ और सामान्य जनजीवन ठप रहा। खासकर मुख्य मार्गों पर आवागमन पूरी तरह से रुक गया था।
- सामुदायिक एकजुटता: इस विरोध में आदिवासी समुदाय के विभिन्न संगठनों और आम लोगों की भागीदारी ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया। यह प्रदर्शन केवल एक स्थानीय मुद्दे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे राज्य में आदिवासी अधिकारों की बात को मजबूती दी।
यह आंदोलन सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है, क्योंकि यह विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के बीच संतुलन की मांग करता है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आगे और बड़े आंदोलन किए जाएंगे।