सिरम टोली सरना स्थल के पास फ्लाईओवर रैंप निर्माण के विरोध में आदिवासी संगठनों का झारखंड बंद
रांची के सिरम टोली सरना स्थल के मुख्य द्वार पर प्रस्तावित फ्लाईओवर रैंप निर्माण के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने आज, 4 जून 2025 को झारखंड बंद का आह्वान किया है। केंद्रीय सरना स्थल सिरम टोली बचाओ संघर्ष मोर्चा और आदिवासी बचाओ मोर्चा के नेतृत्व में यह बंद सुबह 6 बजे से शुरू होकर शाम 6 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान संगठनों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने और अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है।
आदिवासी संगठनों का कहना है कि सिरम टोली सरना स्थल आदिवासियों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस स्थल के पास फ्लाईओवर रैंप का निर्माण न केवल उनकी आस्था को ठेस पहुंचाता है, बल्कि सरहुल जैसे प्रमुख पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के जुलूस को भी बाधित करेगा। संगठनों ने मांग की है कि रैंप को तत्काल हटाया जाए और इसे किसी अन्य स्थान पर बनाया जाए।
आदिवासी संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर पहले भी कई बार विरोध प्रदर्शन किए हैं। बीते 27 मई को राजभवन के समक्ष धरना दिया गया था, और मंगलवार, 3 जून को जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से अलबर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि जब तक रैंप हटाने की मांग पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसके अलावा, संगठन पेसा कानून लागू करने, सीएनटी एक्ट के उल्लंघन को रोकने, और सरना धर्म कोड लागू करने जैसे मुद्दों को भी उठा रहे हैं।
बंद को सफल बनाने के लिए आदिवासी संगठनों ने विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों, दुकानदार संघों, और परिवहन संगठनों से समर्थन मांगा है। हालांकि, आवश्यक सेवाओं जैसे दवा दुकानों, अस्पतालों, और एंबुलेंस को बंद से मुक्त रखा गया है। रांची जिला प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। प्रमुख चौक-चौराहों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं, और सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ वाटर कैनन भी तैयार रखे गए हैं। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है।
केंद्रीय सरना स्थल सिरम टोली बचाव मोर्चा की ओर से पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा, “सरकार हमारी संस्कृति और आस्था को नजरअंदाज कर रही है। रैंप का निर्माण आदिवासी अस्मिता पर सीधा हमला है।” सामाजिक कार्यकर्ता कुंदरसी मुंडा ने आंदोलन को और तेज करने की बात कही, जबकि जय आदिवासी केंद्रीय परिषद की अध्यक्ष निरंजना हेरेंज ने सरकार पर आदिवासियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।