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झारखंड बंद: रांची के सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप के विरोध में आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन

झारखंड बंद: रांची के सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप के विरोध में आदिवासी संगठनों का  प्रदर्शन

रांची, झारखंड की राजधानी, में सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर के रैंप निर्माण को लेकर आदिवासी समुदाय और संगठनों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। केंद्रीय सरना स्थल के पास बन रहे इस रैंप को हटाने की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों ने 4 जून  को झारखंड बंद का आह्वान किया, जिसके तहत आज सुबह से ही आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रांची के कांके, टाटीसिलवे, और अन्य कई इलाकों में सड़क जाम कर दिया। रांची हजारीबाग मार्ग में पूरा गड़ियाँ कतार से खड़ी दिखी वहीं कई अन्य जिलों में भी विरोध प्रदर्शन देखे गए। यह आंदोलन आदिवासी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं से जुड़ा है, क्योंकि उनका दावा है कि यह रैंप उनके पवित्र सरना स्थल की पहुंच और पवित्रता को प्रभावित कर रहा है।

विरोध का कारण
सिरमटोली में स्थित केंद्रीय सरना स्थल आदिवासी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जहां हर साल सरहुल जैसे प्रमुख उत्सवों के दौरान लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। आदिवासी संगठनों का कहना है कि फ्लाईओवर का रैंप सरना स्थल के मुख्य द्वार के पास बनाया गया है, जो न केवल धार्मिक आयोजनों में बाधा डालेगा, बल्कि इस स्थल की पवित्रता को भी भंग करेगा। इसके अलावा, यह रैंप जुलूसों और श्रद्धालुओं की आवाजाही को बाधित करेगा, जिससे सरहुल जैसे त्योहारों का आयोजन प्रभावित होगा।
आदिवासी बचाओ मोर्चा, केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाओ संघर्ष मोर्चा, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, और अन्य 40 से अधिक संगठनों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर विरोध तेज कर दिया है। उनकी मांग है कि रैंप को पूरी तरह हटाया जाए या इसका स्थान बदला जाए। संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर रही है और आदिवासी विधायकों व मंत्रियों की चुप्पी आदिवासी समुदाय के लोगो को आघात पहुँचा रही है।
झारखंड बंद और सड़क जाम
4 जून यानी आज  बुलाए गए झारखंड बंद के दौरान आदिवासी संगठनों ने रांची के विभिन्न हिस्सों में सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया। कांके, टाटीसिलवे, हिनू, अरगोड़ा, और अल्बर्ट एक्का चौक जैसे प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को अवरुद्ध किया। रांची-गुमला नेशनल हाईवे, रिंग रोड, और हरमू बायपास रोड पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण विरोध का दावा किया है ।
सरना स्थल और सांस्कृतिक महत्व
आदिवासी समुदाय के लिए सरना स्थल न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक भी है। संगठनों का कहना है कि फ्लाईओवर रैंप के कारण इस स्थल तक पहुंचने में बाधा आएगी,
इसके अलावा, संगठनों ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (PESA) के पूर्ण कार्यान्वयन, सरना धर्म कोड, और आदिवासी सब-प्लान की राशि के दुरुपयोग जैसे अन्य मुद्दों को भी इस आंदोलन से जोड़ा है। उनका कहना है कि यह विरोध केवल रैंप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिवासी अधिकारों और पहचान की व्यापक लड़ाई का हिस्सा है।
सरकार और प्रशासन का रुख
झारखंड सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर कई बार आलोचना के घेरे में आ चुके हैं। आदिवासी संगठनों का आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरहुल के बाद रैंप हटाने का आश्वासन दिया था, लेकिन निर्माण कार्य फिर से शुरू होने से समुदाय में आक्रोश बढ़ा है।

पहले के प्रदर्शन और आंदोलन
यह विरोध नया नहीं है। मार्च 2025 में भी आदिवासी संगठनों ने रांची बंद का आह्वान किया था, जिसमें मशाल जुलूस, मानव शृंखला, और प्रतीकात्मक शव यात्राएं निकाली गई थीं। 22 मार्च को हुए बंद के दौरान रांची के कई हिस्सों में यातायात ठप हो गया था, और प्रदर्शनकारियों ने अल्बर्ट एक्का चौक पर धरना दिया था। इसके बाद 27 मई को राजभवन के सामने धरना और 3 जून को मशाल जुलूस निकाला गया, जिसने 4 जून के बंद की पृष्ठभूमि तैयार की।
सुरक्षा व्यवस्था और जनजीवन पर प्रभाव
रांची पुलिस ने बंद के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किए। प्रमुख चौक-चौराहों पर अतिरिक्त पुलिस बल, वाटर कैनन, और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की गई। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण विरोध की अपील की और कहा कि गैर-कानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आदिवासी संगठनों की अन्य मांगें
रैंप हटाने के अलावा, आदिवासी संगठनों ने कई अन्य मुद्दों को उठाया है, जिनमें शामिल हैं:
पेसा कानून का पूर्ण कार्यान्वयन: आदिवासी क्षेत्रों में पंचायती राज को मजबूत करने के लिए।
सरना धर्म कोड: आदिवासी धर्म को आधिकारिक मान्यता देने की मांग।
जमीन लूट का विरोध: आदिवासी भूमि के अवैध हस्तांतरण को रोकने के लिए।
ट्राइबल सब-प्लान की राशि का दुरुपयोग: आदिवासी कल्याण के लिए आवंटित फंड का सही उपयोग।

जाहिर है की सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप विवाद ने झारखंड में आदिवासी समुदाय और सरकार के बीच तनाव को और गहरा कर दिया है। यह मुद्दा न केवल एक निर्माण कार्य से संबंधित है, बल्कि आदिवासी संस्कृति, पहचान, और अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बन गया है। संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे। दूसरी ओर, प्रशासन इस मामले को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने की कोशिश में जुटा है। इस विवाद का समाधान कैसे होता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा,

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