लोहरदगा में राशन घोटाले का पर्दाफाश: जनसेवक की धमकी, डीलरों का शोषण, और जिला आपूर्ति विभाग की चुप्पी
लोहरदगा में राशन घोटाले का पर्दाफाश: जनसेवक की धमकी, डीलरों का शोषण, और जिला आपूर्ति विभाग की चुप्पी
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!लोहरदगा : आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा/भंडरा : झारखंड के लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड में राशन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का सनसनीखेज मामला सामने आया है। प्रखंड के जनसेवक और गोदाम मैनेजर (एजीएम) के प्रभार में तैनात नव प्रभात कुजूर पर डीलरों को कम अनाज देने और गोदाम में अनुपस्थित रहने के गंभीर आरोप लगे हैं। जब मीडिया ने इस मामले में सवाल उठाए, तो कुजूर ने उल्टा पत्रकारों को धमकी दी और उनके लाइसेंस की मांग की।
गोदाम संचालन में गड़बड़ी, डीलरों का शोषण
डीलरों का कहना है कि भंडरा के खाद्यान्न गोदाम को वर्षों से त्रिभुवन नाथ साहदेव संचालित करते रहे हैं, जिन्हें वे असली एजीएम मानते हैं। डीलरों ने आरोप लगाया कि गोदाम से उन्हें तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता है और बोरे के बदले अनाज भी नहीं मिलता। इस पर कुजूर ने सफाई देते हुए कहा कि कागजों में वही एजीएम हैं और डीसी ने एक व्यक्ति को कई जगहों पर प्रभार दे रखा है, जिसके कारण वे हर जगह नहीं देख सकते। उन्होंने यह भी कहा कि वे लंबे समय से एक कर्मचारी को एक ही पद पर नियुक्त करने की मांग करते रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
मीडिया को धमकी, जिला आपूर्ति विभाग की चुप्पी
जब पत्रकारों ने कुजूर से गोदाम की अनियमितताओं पर सवाल किए, तो वे भड़क गए और पत्रकारों से उनका लाइसेंस व्हाट्सएप करने की मांग करने लगे। वहीं, जिला आपूर्ति पदाधिकारी ज्ञानशंकर जायसवाल ने भी राशन कार्ड धारकों की संख्या, मासिक राशन आवंटन, और ट्रांसपोर्टिंग एजेंसी के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया। सवाल उठता है कि जब मीडिया, डीलर, और जनता को जवाब नहीं मिलेगा, तो आखिर सच कौन उजागर करेगा?
डीलरों का आक्रोश, एसोसिएशन ने उठाई आवाज
फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के जिला महासचिव धनंजय लाल ने बताया कि डीलरों का शोषण लंबे समय से हो रहा है। उन्होंने कहा कि गोदाम से कम राशन मिलना, बोरे समेत अनाज देना, डाक पति द्वारा पैसे की उगाही, और प्रत्येक माह अवैध वसूली जैसे मामले आम हैं। कोरोना काल में किए गए कार्यों का कमीशन भी डीलरों को अब तक नहीं मिला है। एसोसिएशन ने इन मुद्दों पर बार-बार आवाज उठाई, लेकिन जिला आपूर्ति विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पहले भी उजागर हो चुका है भ्रष्टाचार
हाल ही में दृष्टि नाउ में छपी खबर “लोहरदगा में गरीबों का राशन बन रहा भ्रष्टाचार की भेंट” ने जिले में हड़कंप मचा दिया था। इसके बाद विभाग और डीलरों में खलबली मच गई, और कुछ लोग डीलरों को समझाने-बुझाने में जुट गए ताकि विभाग की कमियां छिपाई जा सकें।[
झारखंड में राशन वितरण की बदहाल स्थिति
झारखंड में राशन वितरण प्रणाली की अव्यवस्था कोई नई बात नहीं है। डीलरों को समय पर कमीशन नहीं मिलता, इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीनों का रखरखाव नहीं होता, और गोदाम से दुकानों तक अनाज पहुंचाने में भारी अनियमितताएं हैं। हाल ही में एक पोस्ट में दावा किया गया कि सरकार 400 रुपये की कीमत वाले 5 किलो राशन को बांटने के लिए 2000 रुपये का खर्च दिखा रही है, जो व्यवस्था में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
जाहिर है लोहरदगा के इस मामले ने एक बार फिर राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर किया है। डीलरों, पत्रकारों, और आम जनता की शिकायतों के बावजूद जिला प्रशासन और आपूर्ति विभाग की चुप्पी सवाल खड़े करती है। क्या गरीबों का हक मारने वालों पर कार्रवाई होगी, या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? जनता को जवाब का इंतजार है।





