दुमका में कोयला ढुलाई के खिलाफ ग्रामीणों का उग्र प्रदर्शन, पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) द्वारा कोयला ढुलाई के खिलाफ ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन हड़ताल
दुमका में कोयला ढुलाई के खिलाफ ग्रामीणों का उग्र प्रदर्शन, पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) द्वारा कोयला ढुलाई के खिलाफ ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन हड़ताल
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!दुमका, 16 जून : झारखंड के दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड में ग्रामीणों ने पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) द्वारा कोयला ढुलाई के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। पाकुड़ के पंचुवाड़ा कोल माइंस से दुमका रेलवे स्टेशन तक कोयले के परिवहन को पूरी तरह ठप कर दिया गया है, जिससे सड़कों पर ट्रकों और हाईवा की लंबी कतारें लग गई हैं।
चांदनी चौक पर धरना, सड़कों पर जाम
शिवतल्ला गांव के ग्राम प्रधान जॉन सोरेन के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण काठीकुंड बाजार के चांदनी चौक पर धरने पर बैठे हैं। प्रदर्शनकारियों ने पंडाल लगाकर अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा की है। कोयला लदे ट्रकों को धरना स्थल से पहले ही रोक दिया गया, जिससे लगभग तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। अन्य वाहनों का आवागमन हालांकि सामान्य बना हुआ है।
ग्रामीणों की मांग: “हमारी जमीन, हमारा हक”
ग्रामीणों का आरोप है कि WBPDCL बिना भूमि अधिग्रहण और स्थानीय सहमति के आदिवासी जमीन पर कोयला खनन और परिवहन कर रही है। जॉन सोरेन ने कहा, “हर दिन 10,000 ट्रकों से 60,000 टन कोयला ढोया जा रहा है, जिससे सड़कें टूट रही हैं, धूल और डीजल का प्रदूषण बढ़ रहा है, और सांस की बीमारियां फैल रही हैं।” ग्रामीणों का कहना है कि यह परिवहन अव्यवस्थित और असुरक्षित है, जिससे दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं।
नेताओं का समर्थन, प्रशासन की कोशिश
जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा ने धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों का समर्थन किया। ग्रामीणों का दावा है कि दुमका सांसद नलिन सोरेन और विधायक आलोक सोरेन भी उनके साथ हैं। काठीकुंड बीडीओ और थाना प्रभारी ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से बातचीत की और WBPDCL अधिकारियों के साथ वार्ता शुरू की, लेकिन अभी कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
आंदोलन का असर
इस विरोध के कारण कोयला परिवहन पूरी तरह ठप है, जिससे कोल माइंस और रेलवे रैक के बीच आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, धरना और चक्का जाम जारी रहेगा।
क्या है मांगें?
बिना सहमति और भूमि अधिग्रहण के कोयला खनन और ढुलाई पर रोक।
प्रदूषण नियंत्रण और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था।
सड़कों की मरम्मत और सुरक्षित परिवहन की गारंटी।
जाहिर है यह आंदोलन आदिवासी अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई का प्रतीक बनता जा रहा है। यदि जल्द ही कोई समझौता नहीं हुआ, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। ग्रामीणों की एकजुटता और स्थानीय नेताओं का समर्थन इस मुद्दे को और चर्चा में ला रहा है।








