दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म के पांचवें दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निभाई परंपरागत रस्में
झारखंड आंदोलन के पुरोधा और आदिवासी समाज के प्रेरणास्रोत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद उनके पैतृक गांव नेमरा में श्राद्ध कर्म की परंपराएं लगातार निभाई जा रही हैं। पांचवें दिन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थानीय मान्यताओं और आदिवासी परंपराओं के अनुरूप अपने परिजनों के साथ पारंपरिक रस्मों का निर्वहन किया।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में आयोजित इस अनुष्ठान में हिस्सा लिया, जहां विशेष पूजा और रीति-रिवाजों के माध्यम से दिशोम गुरु की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। यह अनुष्ठान आदिवासी संस्कृति और स्थानीय परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है, जिसमें परिवार और समुदाय के लोग एकत्रित होकर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस अवसर पर हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पिता और झारखंड के महानायक शिबू सोरेन को याद करते हुए कहा, “दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की अंत्येष्टि के बाद आज पांचवें दिन नेमरा में पारंपरिक रस्मों का निर्वहन किया गया। यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान है, जो हमें अपने पूर्वजों से जोड़े रखता है।”
स्थानीय लोगों और समुदाय के नेताओं ने भी इस अवसर पर दिशोम गुरु के योगदान को याद किया और उनके द्वारा शुरू किए गए झारखंड आंदोलन और आदिवासी अस्मिता की लड़ाई को श्रद्धांजलि दी। नेमरा की यह पवित्र भूमि, जो शिबू सोरेन के संघर्षों की गवाह रही है, एक बार फिर उनकी स्मृति में एकत्रित लोगों से गूंज उठी।



