पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन हिरासत में..जानिए क्यों…
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन हिरासत में..जानिए क्यों…
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रांची, 24 अगस्त : झारखंड की राजधानी रांची के नगड़ी में आदिवासी समाज द्वारा आयोजित ‘हल जोतो अभियान’ को लेकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस अभियान के तहत आदिवासी समुदाय रिम्स-2 के लिए चिह्नित भूमि पर कथित अवैध कब्जे के खिलाफ प्रदर्शन करने वाला था। लेकिन, पुलिस ने इस प्रदर्शन को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जिसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र और घाटशिला के पूर्व भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन भी शामिल हैं।
पुलिस ने रोके प्रदर्शनकारी, कई हिरासत में
खबरों के अनुसार, सरायकेला, जमशेदपुर, और अन्य जिलों से आदिवासी समाज के लोग नगड़ी में इस अभियान के लिए एकत्र होने वाले थे। लेकिन, पुलिस ने विभिन्न जिलों में प्रदर्शनकारियों को नगड़ी पहुंचने से पहले ही रोक दिया। सरायकेला के कांद्रा थाना पुलिस ने जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा को हिरासत में लिया, जबकि बाबूलाल सोरेन को तमारा में पुलिस ने डिटेन किया। पूरे राज्य में नगड़ी जाने वाले काफिलों को रोकने के लिए पुलिस ने कड़े इंतजाम किए।
नगड़ी में पुलिस तैनात, बैरिकेडिंग की गई
जिस स्थान पर ‘हल जोतो अभियान’ के तहत हल चलाने की योजना थी, वहां पुलिस ने भारी संख्या में बल तैनात कर बैरिकेडिंग कर दी है। प्रशासन ने किसी भी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
चंपई सोरेन का बयान
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने इस अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य रिम्स अस्पताल का विरोध करना नहीं है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “हमारा मकसद अस्पताल का विरोध नहीं है। सरकार रिम्स 2, रिम्स 3, या रिम्स 4 बनाए, इसके लिए स्मार्ट सिटी समेत कई स्थानों पर सैकड़ों एकड़ बंजर जमीन उपलब्ध है। लेकिन किसानों की उपजाऊ/खेतिहर जमीन को नहीं छीना जाना चाहिए।”
आदिवासी समाज का दावा
आदिवासी समाज का कहना है कि नगड़ी में रिम्स-2 के लिए चिह्नित भूमि उनकी खेतिहर जमीन है, जिसे सरकार द्वारा जबरन अधिग्रहित किया जा रहा है। इस अभियान के जरिए वे अपनी जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन की चुप्पी
पुलिस ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई की है।
इस घटना ने झारखंड की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है। जहां एक ओर आदिवासी समाज अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं पुलिस की कार्रवाई ने इस आंदोलन को और चर्चा में ला दिया है। स्थिति पर नजर रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।





