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दक्षिण अफ्रीका में G20 बैठक: कितनी महत्वपूर्ण है यह? भारत के लिए जानिए 

दक्षिण अफ्रीका में G20 बैठक: कितनी महत्वपूर्ण है यह? भारत के लिए जानिए 

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22-23 नवंबर को जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में चल रही G20 की बैठक वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है। यह अफ्रीका महाद्वीप पर आयोजित होने वाली पहली G20 शिखर बैठक है, जो वैश्विक दक्षिण (विकासशील देशों) की प्राथमिकताओं को केंद्र में लाने का ऐतिहासिक अवसर प्रदान करती है। दक्षिण अफ्रीका ने 1 दिसंबर 2024 से G20 की अध्यक्षता संभाली है और यह 30 नवंबर 2025 तक चलेगी । इस बैठक का थीम “सॉलिडैरिटी, इक्वालिटी एंड सस्टेनेबिलिटी” (सहयोग, समानता और स्थिरता) है, जो गरीबी, असमानता और जलवायु संकट जैसी चुनौतियों पर फोकस करता है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठक–

G20 दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें 19 देश, यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ शामिल हैं। यह वैश्विक GDP का लगभग 87%, जनसंख्या का 62% और व्यापार का 75% हिस्सा नियंत्रित करता है। दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में यह बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण है
बैठक पहली बार अफ्रीका पर फोकस है जहां गरीबी, बेरोजगारी, कर्ज संकट, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा चुनौतियों पर चर्चा होगी। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा है कि “अफ्रीका का विकास G-20 एजेंडा के शीर्ष पर होगा।” यह अफ्रीकी संघ के एजेंडा 2063 (“द अफ्रीका वी वांट”) से जुड़ा है।

वैश्विक चुनौतियों का समाधान

बैठक में जलवायु आपदाओं के लिए तैयारी, हरित ऊर्जा वित्तपोषण, महत्वपूर्ण खनिजों (जैसे लिथियम, कोबाल्ट) के उत्पादकों को लाभ, और गरीब देशों के लिए उचित उधार प्रणाली पर सहमति बनाई गई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे “नेतृत्व और दृष्टि का समय” बताया, जो विकासशील देशों की पीड़ा कम करने पर जोर देता है।

G-20 के तहत 230 से अधिक सामुदायिक संवादों से निकली सिफारिशें शामिल हैं, जो वैश्विक शासन को अधिक न्यायपूर्ण बनाने पर केंद्रित हैं।

चुनौतियां और विवाद-

अमेरिकी बहिष्कार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “श्वेत नरसंहार” जैसे झूठे दावों के आधार पर बैठक का बहिष्कार किया, जिससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अनुपस्थित रही। अर्जेंटीना और चीन के शीर्ष नेता भी अनुपस्थित दिखे।
भू-राजनीतिक तनाव: यूक्रेन युद्ध, वैश्विक संघर्ष और व्यापार तनावों के बीच यह बैठक बहुपक्षीयता को मजबूत करने का प्रयास है।

यह बैठक वैश्विक आर्थिक स्थिरता, समावेशी विकास और अफ्रीका की प्रगति के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता ने वैश्विक विभाजनों को पाटने और समानता पर जोर दिया है। अगली अध्यक्षता अमेरिका को सौंपी जाएगी।

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