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भारत ने लगाई एक बड़ी छलांग….विश्व अर्थव्यवस्था में पहुंचा चौथे स्थान पर..

भारत ने लगाई एक बड़ी छलांग….विश्व अर्थव्यवस्था में पहुंचा चौथे स्थान पर..
Navin kumar : Editor WhatsApp Image 2025 05 25 at 16.58.58
भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के आधार पर सामने आई है।.
भारत की आर्थिक स्थिति: एक नजर में—
IMF के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2025 में $4.187 ट्रिलियन तक पहुंच गया, जो जापान के $4.186 ट्रिलियन से थोड़ा अधिक है। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने जापान को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है।
विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देश
संयुक्त राज्य अमेरिका: $30.507 ट्रिलियन
चीन: $19.2 ट्रिलियन
जर्मनी: $4.74 ट्रिलियन
भारत: $4.187 ट्रिलियन
जापान: $4.186 ट्रिलियन
भारत की इस उपलब्धि से हमारा देश अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर काबिज हो गया है। जो भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
भारत के आर्थिक विकास के प्रमुख घटक—
भारत की इस उपलब्धि के पीछे कई कारक हैं, जो इसकी मजबूत आर्थिक प्रगति को समर्थन दे रहे हैं-
(i) तेज आर्थिक विकास दर-
IMF के अनुमानों के अनुसार, भारत 2025 में 6.2% की विकास दर के साथ विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। यह दर अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे चीन (4%), अमेरिका (1.8%), जापान (0.6%), और यूनाइटेड किंगडम (1.1%) से कहीं अधिक है।
2026 में भारत की विकास दर 6.3% होने का अनुमान है, जो इसकी निरंतर प्रगति को दर्शाता है।
(ii) ग्रामीण खपत और निजी निवेश-
भारत की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण खपत और निजी निवेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग और उपभोक्ता खर्च ने आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।
निजी क्षेत्र में निवेश, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, और विनिर्माण क्षेत्रों में, ने उत्पादकता को बढ़ाया है।
(iii) सेवा क्षेत्र की मजबूती
भारत का सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (IT), सॉफ्टवेयर, और डिजिटल सेवाएं, वैश्विक स्तर पर अग्रणी रहा है। भारत विश्व में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, और सिलिकॉन वैली में लगभग 30% उद्यमी पूंजीपति भारतीय मूल के हैं।
डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान दिया है।
(iv) नीतिगत सुधार और उदारीकरण
1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एकीकृत किया। लाइसेंस राज के अंत और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन ने भारत को निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया।
हाल के वर्षों में, मेक इन इंडिया, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI), और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों ने विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया है।
(v) वैश्विक व्यापार परिदृश्य-
वैश्विक व्यापार युद्ध और अमेरिकी टैरिफ जैसे बाहरी दबावों के बावजूद, भारत ने अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखा। जापान और जर्मनी जैसे देश वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से प्रभावित हुए, जबकि भारत ने अपनी लचीलापन और मजबूत घरेलू मांग के बल पर प्रगति की।
भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है; यह वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
(i) वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना
भारत की यह उपलब्धि वैश्विक भू-राजनीति में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। यह भारत की आर्थिक महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को मजबूत करती है।
2028 तक भारत के जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है, और 2030 तक यह $7.3 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
(ii) निवेश और रोजगार के अवसर
भारत का मैन्युफैक्चरिंग हब बनना और विदेशी निवेश का आकर्षण बढ़ना रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगा। मेक इन इंडिया और PLI योजनाएं कंपनियों को भारत में उत्पादन के लिए प्रेरित कर रही हैं।
प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्रों में भारत की प्रगति ने स्टार्टअप्स और नवाचार को बढ़ावा दिया है।
(iii) सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
आर्थिक वृद्धि से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की उम्मीद है, जो जीवन स्तर को बेहतर करेगी। हालांकि, भारत की प्रति व्यक्ति आय ($2,277 in 2021) अभी भी विकसित देशों से काफी कम है, जिसे बढ़ाने के लिए और प्रयासों की आवश्यकता है।
ग्रामीण खपत और समावेशी विकास नीतियों ने निम्न और मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाया है।
भविष्य की चुनौतियां–
हालांकि भारत की यह उपलब्धि गर्व का विषय है, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी बाकी हैं:
(i) प्रति व्यक्ति आय और गरीबी-
भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी निम्न है (2021 में $2,277, जबकि अमेरिका में $60,000 और जर्मनी में $50,801)। इसे बढ़ाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक में भारत 66वें स्थान पर है, जो सामाजिक-आर्थिक असमानता को दर्शाता है।
(ii) बुनियादी ढांचा और बेरोजगारी-
बुनियादी ढांचे में निवेश की कमी और बेरोजगारी (2021 में 6%) अभी भी चुनौतियां हैं। विकसित देशों की तुलना में भारत को इस मोर्चे पर सुधार की आवश्यकता है।
बढ़ती आबादी के लिए बुनियादी सेवाएं (स्वास्थ्य, शिक्षा, और आवास) प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है।
(iii) पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन
भारत को जलवायु-लचीली विकास प्रक्रिया अपनानी होगी ताकि आर्थिक प्रगति पर्यावरणीय स्थिरता के साथ संतुलित हो। हरित क्रांति और औद्योगीकरण ने पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ाई हैं, जिन्हें संबोधित करना आवश्यक है।
भविष्य की संभावनाएं-
2027 तक $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था: भारत 2027 तक $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है।
2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था:/ ग्लोबल रेटिंग्स और अन्य विश्लेषकों का अनुमान है कि भारत 2030 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर $7.3 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
विकसित देश का दर्जा: -विश्व बैंक के अनुसार, भारत को 2047 तक उच्च आय वाला देश बनने के लिए समावेशी और हरित विकास पर ध्यान देना होगा।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो नीतिगत सुधारों, मजबूत घरेलू मांग, और वैश्विक एकीकरण का परिणाम है। यह उपलब्धि भारत के 140 करोड़ नागरिकों के परिश्रम और सरकार की दूरदर्शी नीतियों का प्रतिफल है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय, बेरोजगारी, और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। यदि भारत अपनी विकास गति को बनाए रखता है और चुनौतियों का समाधान करता है, तो यह 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, जो वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।

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