विधान सभा से आए आदेश को भी नज़रअंदाज़ कर देते है अरगोड़ा अंचल अधिकारी ?
क्या हो अगर आपके ही गाओ में घुस कर कोई आपके ही पुस्तैनी ज़मीन पर अवैध तरीके से कब्ज़ा कर ले और आपको आपके ही पुस्तैनी ज़मीन के कागज़ात दिखाए जिसमे नाम उसका हो तो ? मुझे पता है ये किसी फिल्म की कहानी की तरह है लेकिन ये बिलकुल सत्य कहानी है ऐसा ही कुछ हुआ है अरगोड़ा अंचल अंतरगत मौजा अरगोड़ा के खता नंबर 44 प्लाट नो 440 रकबा 84 डिस्मिल ज़मीन भूमि खतियान और बाद बाकि के कागज़ात गोन्दल ORAON के नाम से दर्ज है।
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लेकिन आरोप के मुताबिक उक्त की भूमि पर छैदी साहू तथा डहरु साहू पिता स्वर्गीय भवन नाथ साहू ग्राम अरगोड़ा द्वारा अवैध रूप से दखल कर लिया गया। इसमें भी बात ऐसे ही ख़तम नहीं होती बल्कि यहाँ ट्विस्ट ये है की खतियान रैयत के पोता BUDHUORAON द्वारा हथीया लिया गया। न्यायलय के समक्ष SAR वाद संख्या 419 /06 -07 दायर की गई थी , जिसके बाद उपयुक्त रांची में दायर SAR अपील वाद संख्या 78 R15 /2008 -09 और आयुक्त दछिणी छोटानुरपुर रांची में दायर रिवीजन वाद 179 /2011 में BUDHU ORAON जो की खतियान के वंसज है उनके पक्ष में निर्णय हुआ। इतने सब होने के बाद भी इस बिवादित जमीन पर समृद्धि बिल्डर्स द्वारा ईमारत का निर्माण कार्य चलता रहा।
जिसके बाद ग्रामवाशियों ने विधायक जी को संपर्क किया विधायक चमड़ा लिंडा द्वारा ये सवाल झारखण्ड विधान सभा में भी उठाया गया जिसके बाद राज सरकार के अपर सचिव राजस्व निबंधन और भूमि सुधर विभाग के द्वारा जारी किया गया ज्ञापन में ये बात स्पस्ट रूप से लिखी गई है की जब तक इस मामले की जाँच पूरी तरह से ख़तम न हो जाए तब तक इस भूमि पर किसी भी तरह का निर्माण न कराया जाए।
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जब अरगोड़ा अंचल अधिकारी को ग्रामीणों ने कॉल किया की अभी भी निर्माड कार्य चालू है तो अधिकारी द्वारा ऐसा कहा गया की मैंने आदेश की कॉपी बिल्डर्स को भेजी है अब अगर वो कार्य रोक नहीं रहे है तो में क्या करू ? जिसके बाद लाचार ग्रामीण 22 नवंबर के दिन राज्यपाल महोदय के समक्ष अपनी आप बीती सुनाने पहुंचे थे। राज्यपाल महोदय को भी ज्ञापन सौपा गया है अब सबसे बड़ी बात यहाँ ये उठती है की क्या राजपाल महोदय द्वारा इस पुरे मामले की जाँच होगी या ये भी ठन्डे बास्ते में चला जाएगा।