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Ranchi News:-रांची में माफिया ने 10 हजार एकड़ सरकारी जमीन बेची, रैयती का भी फर्जी दस्तावेज पर रजिस्ट्री-म्यूटेशन

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Drishti  Now  Ranchi

राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने गैर मजरुआ जमीन की अवैध जमाबंदी और फर्जी कागजात बनाकर गरीबों की जमीन कब्जा करने वालों पर समक्ष एजेंसी से जांच करा कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इधर, दैनिक भास्कर ने रांची में जमीन के खेल की पड़ताल की तो पता चला कि करीब 10 हजार एकड़ सरकारी जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री हो गई है।

भू-माफिया ने फर्जी कागजात के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री, म्यूटेशन भी करा लिया। भू-माफिया यहीं पर नहीं रुके। अब जमीन कब्जाने का नया ट्रेंड शुरू हुआ है। शहर में जमीन की कमी देखते हुए अब वर्षों से घर बनाकर रह रहे गरीबों की जमीन पर फर्जी कागजात के आधार पर दावेदारी भी कर रहे हैं। हेहल, नामकुम, कांके, ओरमांझी क्षेत्र में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें भू-माफिया बुल्डोजर लेकर जमीन कब्जाने पहुंच गए।

रैयतों से मारपीट की और हत्या करने की धमकी तक दे डाली। पिछले एक दशक में जिले में हुई हत्याओं की पड़ताल में पता चला कि हर चौथी हत्या के पीछे जमीन विवाद है। 10 वर्षों में रांची में कुल 1927 हत्याएं हुईं, जिनमें 536 की जान जमीन विवाद में गई। कमिश्नर, डीसी, एसी, एसडीओ, सीओ और विभिन्न न्यायालयों में दर्ज होने वाले मामले की पड़ताल में पता चला कि करीब 65 प्रतिशत केस जमीन विवाद के ही हैं।

इन 3 केस से समझिए जमीन पर कब्जे का खेल

1. पुंदाग में 200 से अधिक अवैध जमाबंदी, कार्रवाई नहीं

पुंदाग क्षेत्र में करीब 500 एकड़ गैर मजरुआ जमीन है। 383 खाता की इस जमीन के एक प्लॉट की बिक्री तीन से चार लोगों को हो चुकी है। कुछ प्लॉट पर वास्तविक जमाबंदी कायम है, लेकिन सैकड़ों एकड़ जमीन की बिक्री अवैध तरीके से हो गई है। प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बने 50 से अधिक निर्माण ध्वस्त किए, पर 200 से अधिक लोगों की अब भी अवैध जमाबंदी चल रही है और कब्जा है।

पुंदाग में 200 से अधिक अवैध जमाबंदी, कार्रवाई नहीं: पुंदाग क्षेत्र में करीब 500 एकड़ गैर मजरुआ जमीन है। 383 खाता की इस जमीन के एक प्लॉट की बिक्री तीन से चार लोगों को हो चुकी है। कुछ प्लॉट पर वास्तविक जमाबंदी कायम है, लेकिन सैकड़ों एकड़ जमीन की बिक्री अवैध तरीके से हो गई है। प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बने 50 से अधिक निर्माण ध्वस्त किए, पर 200 से अधिक लोगों की अब भी अवैध जमाबंदी चल रही है और कब्जा है।

2. फर्जी कागज दिखा मुखिया से वंशावली का सत्यापन कराया

कांके अंचल के पिठोरिया ग्राम पंचायत की मुखिया मुन्नी देवी ने डीसी को पत्र लिखकर कहा है कि 30 अगस्त 2022 को उन्होंने बत्ती देवी के नाम पर एक वंशावली का सत्यापन किया था, पर बाद में उसी वंशावली के आधार पर फर्जी कागज दिखाकर 2.44 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री पांच डीड के माध्यम से कराई गई। उन्होंने संबंधित लोगों पर केस कराया। उन्होंने पांचों डीड रद्द करने की मांग की है।

3.सेना के सूबेदार की 86 डिसमिल जमीन हड़पी, ग्रामीण एससी के पास मामला:

सेना के सूबेदार लालू लकड़ा के नामकुम खरसीदाग स्थित 86 डिसमिल जमीन पर कब्जा करने हथियार से लैस 50 लोग बुल्डोजर लेकर पहुंचे। विरोध करने पर उनकी पत्नी से बदसलूकी की। सेना का जवान होने के बावजूद जमीन माफिया उनकी जमीन भी कब्जाने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने ग्रामीण एसपी व सीओ से अपने पुरखों की जमीन बचाने की गुहार लगाई है।

जमीन विवाद के पीछे की वजह: हाउसिंग बोर्ड ने नई कॉलोनी नहीं बनाई, अफसरों से साठगांठ बना सबसे बड़ा कारण

राज्य गठन के बाद रांची की आबादी तेजी से बढ़ी, पर राज्य आवास बोर्ड ने दो दशक में एक भी नई कॉलोनी नहीं बनाई। पुरानी कॉलोनी में जो बचे प्लॉट थे, उसे नीलाम भी किया तो विवादों में फंस गया। कोर्ट में केस बढ़ते चले गए। सरकारी जमीन या किसी रैयत की जमीन को फर्जी कागजात के आधार पर भू-माफिया ने बेचा। इसके लिए थाना, रजिस्ट्री ऑफिस, सीओ, एसएआर कोर्ट में घूस देकर कागजात से लेकर जमीन पर कब्जा भी किया। ऐसे में विभिन्न न्यायालयों में दर्ज होने वाले केस में जमीन विवाद से जुड़े 65 प्रतिशत केस पहुंच गए। रिंग रोड के दो-तीन किमी के दायरे में जमीन की कीमत बढ़ती तो भू-माफिया गलत कागजात बनाकर गरीबों की जमीन बेचने लगे। विवाद बढ़ता गया और हत्याएं भी बढ़ी। शहर में अब सामान्य जमीन नहीं है। इसलिए नदी-नाले के आसपास की खाली जमीन को भी भू-माफिया ने कब्जा कर बेचने का खेल शुरू किया है।

एक्सपर्ट बोले- जमीन का सर्वे कर दस्तावेज दुरुस्त करने से ही विवाद घटेंगे :

रातों-रात अमीर बनने की चाहत और जमीन का नए सिरे से सर्वे नहीं होना है। सरकारी, विवादित व अन्य प्रकृति की जमीन फर्जी कागज के आधार पर बेचना शुरू किया। जिसके पास पैसा-पावर रहा, वह कमजोर को रास्ते से हटाते चले गए। इससे हत्याएं बढ़ीं और विवाद भी। जिसके नाम जमीन है, उसकी तीसरी-चौथी पीढ़ी के नाम पर जमीन बेची जा रही है। जमीन का नए सिरे से सर्वे करके सभी कागजात दुरुस्त करना ही अपराध-हत्या और केस कम करने का विकल्प है। -मणि बाबू, सिविल कोर्ट के अधिवक्ता (जमीन मामले के जानकार)

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