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बरियातू रोड सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन जमीन बिक्री की जाँच ED ने शुरू की अफसर अधिकारी और नेताओ के संत पांव फूले

रांची ED यानि प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जाँच तो शुरू की मनरेगा घोटाले से शुरू की लेकिन जाँच का दायरा बढ़ता हुआ अवैध खनन , अवैध कोल माइनिंग और भू माफिया के जरिये हुए अवैध ट्रांजेक्शन तक आ पंहुचा है। यही वजह के की झारखण्ड में नेताओ से लेकर अधिकारियो तक के अभी हाँथ पांव फुले हुए है। कुछ सालों में जमीन और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में नेताओं, अफसरों और कोयला-पत्थर-बालू कारोबारियों ने बड़ी राशि का निवेश किया है। ED को इससे संबंधित कई दस्तावेज मिले हैं। इसके बाद ईडी ने पिछले कुछ सालों में रांची में बड़े प्लॉट की खरीद-बिक्री से संबंधित कागजात खंगालना शुरू कर दिया है। इनमें बरियातू रोड पर सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन के अलावा चेशायर होम रोड, नामकुम, पुंदाग और स्मार्ट सिटी के करीब दो दर्जन से अधिक बड़े प्लॉट हैं। बताया जाता है की सिर्फ बरियातू वाले मामले में 200 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन है। यह वैध है या अवैध अभी बता पाना मुश्किल है लेकिन कहा जाता है के सेना की जमीन को अधिकारियो और भू माफियाओ के गठजोड़ से बेच दिया गया।

अब ईडी इन सभी जमीनों की खरीद-बिक्री की जांच करेगा। ईडी ने पुलिस मुख्यालय, निबंधन विभाग और अन्य विभागों से निबंधन और इससे संबंधित जानकारी मांगी है। सेना के कब्जे वाली यह जमीन एक अक्टूबर 2021 को कोलकाता की कंपनी जगत बंधु टी इस्टेट प्रा. लि. के निदेशक दिलीप कुमार घोष ने खरीदी थी। सूत्रों के मुताबिक रांची के तत्कालीन निबंधन अधिकारियों व कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से करीब 200 करोड़ रुपए की इस जमीन की खरीद-बिक्री में व्यवसायी अमित अग्रवाल के भी जुड़े होने का अंदेशा है। अमित अग्रवाल अभी ईडी की हिरासत में है। इसलिए ईडी जमीन खरीद-बिक्री की जांच करने की तैयारी में है। पुलिस पर भरोसा घटा, ईडी के पास 5 माह में पहुंची 350 शिकायतें।

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कोर्ट ने नगर आयुक्त, सब रजिस्ट्रार सहित 10 पर एफआईआर का दिया है आदेश

न्यायिक दंडाधिकारी अशोक कुमार की कोर्ट ने तीन माह पहले सेना के कब्जे वाली जमीन की फर्जी तरीके से खरीद-बिक्री मामले में बरियातू थाने को तत्कालीन 10 अफसरों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया था। इनमें रांची के दो सब रजिस्ट्रार घासी राम पिंगुआ व वैभव मनी त्रिपाठी, नगर आयुक्त मुकेश कुमार, बड़गाईं सीओ मनोज कुमार, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, खरीदार दिलीप कुमार घोष, जयप्रकाश नारायण सिन्हा, अपर बाजार के गोयल बिल्डर्स के निदेशक, मो. जैकुल्लाह और मानवेन्द्र प्रसाद शामिल हैं। थानेदार ने बताया कि अभी केस दर्ज नहीं हुआ है। हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है।

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आयुक्त की जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा कर जमीन खरीद-बिक्री का हुआ था खुलासा, रजिस्ट्री के बाद हटा दिए गए थे सब रजिस्ट्रार

दक्षिणी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने भी सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री को संदिग्ध माना था। आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में जमीन के दावेदार प्रदीप बागची को गलत ठहराते हुए मूल रैयत जयंत करनाड को बताया था। लिखा था कि प्रदीप बागची ने गलत दस्तावेज पर दिलीप घोष को जमीन की रजिस्ट्री की। इस फर्जीवाड़े में सरकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत है।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक पंजी-टू के रैयत जयंत करनाड ने वर्ष 2019 में 13 रैयतों को यह जमीन बेची थी। इनके दाखिल-खारिज को बड़गाईं अंचल ने यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया था कि उस जमीन पर उनका नहीं, बल्कि सेना का कब्जा है। इसके बाद प्रदीप बागची ने अक्टूबर 2021 में जमीन का पजेशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड और बिजली बिल देकर रांची नगर निगम से होल्डिंग नंबर ऑनलाइन ले लिया। रिपोर्ट में अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई है। मालूम हो कि उक्त जमीन की रजिस्ट्री के बाद तत्कालीन सब रजिस्टार घासी राम पिंगुआ को हटा दिया गया था।

 

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