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ED:-स्कूल और आदिवासियों की जमीन बिक्री का चल रहे सिंडिकेट के कारन , कई बड़े अफसर और नेता ईडी की रडार में

ED

प्रेरणा चौरसिया

Drishti  Now  Ranchi

रांची जमीन की खरीद-फरोख्त का बड़ा हब है। फर्जी दस्तावेजों के निर्माण और दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर अरबों रुपये की जमीन की खरीद-बिक्री की अनुमति दी गई है। यही वजह है कि ईडी ने राज्य बनने के बाद पहली बार रांची जमीन घोटाले के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई शुरू की है. जमीन घोटाले में ईडी की कार्रवाई का आधार बने इस मामले पर दैनिक भास्कर ने जब गौर किया तो एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

ईडी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बरियातू रोड की 455 एकड़ जमीन, जो सेना के इस्तेमाल में थी और एक एकड़ चेशायर हाम रोड की रजिस्ट्री के संबंध में छापेमारी की. रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, बार्गेन सीओ मनोज कुमार, सीआई भानु प्रताप प्रसाद और जमीन दलाल अफसर अली उर्फ ​​अफसू खान इन सभी ने इसमें अहम भूमिका निभाई.

जमीन घोटाले का मास्टरमाइंड अफसर अली रिम्स के रेडियोलॉजी डिवीजन में थर्ड ग्रेड  के कर्मचारी  है. बंगाल को आजादी मिलने से पहले, उन्होंने रांची की 500 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन बेचने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। उसने कोलकाता में अपने फर्जी दस्तावेज तैयार किए, जमीन की रजिस्ट्री कराई, मालिकाना हक बदलवाया और जमीन के उस प्लॉट के लिए मेटा कमीशन देकर कब्जा ले लिया, जिसने उसका ध्यान खींचा। इसके अतिरिक्त, इसमें सभी निजी, सार्वजनिक और जनजातीय भूमि शामिल हैं।

सूत्राें ने बताया कि काेलकाता के रजिस्ट्री कार्यालय के कर्मी अफसर अली काे राजा साहब पुकारते हैं। काेलकाता से लेकर रांची के अधिकारियाें काे मुहमांगा पैसा देकर वह जिस जमीन का चाहे उसका फर्जी कागजात तैयार कराकर खरीद-बिक्री करा सकता है।

500 कराेड़ से अधिक कीमत की जमीन की खरीद-बिक्री:

सरकार ने बरियातू छापे के दौरान सेना द्वारा दावा की गई 415 एकड़ भूमि पर केवल 20 करोड़ रुपये का मूल्य रखा, इस तथ्य के बावजूद कि भूमि का बाजार मूल्य लगभग 150 करोड़ रुपये है। स्टांप और कोर्ट फीस देकर रजिस्ट्री पूरी की गई। जैसे रिम्स कम्युनिटी हॉल के पीछे आदिवासियों की एक एकड़ जमीन करीब 10 करोड़ में बेची गई, इसमें सरकार का टैक्स रेवेन्यू रु.डॉट. कोलकाता की डीड के आधार पर गिराबार माइजा में 150.5 एकड़ जमीन भी प्रदीप बागची के नाम दर्ज करा दी गई। इसकी कीमत भी करीब 200 करोड़ रुपए है।

नेता, अफसर व 15 से अधिक बिल्डर-जमीन दलाल ईडी के रडार पर:

रांची और अन्य जिलों में तैनात बारह अधिकारियों, पांच-छह नेताओं, पंद्रह से ज्यादा बिल्डरों और जमीन के दलालों की कुंडली जांची जा चुकी है. वैसे पूर्व में भू-अभिलेख में हेर-फेर करने और रजिस्ट्री में बदलाव करने के आरोप में आरोपित सीओ-सीआई या वर्तमान में जिन सीओ-सीआई और जोनल कर्मचारियों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं, उनके खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है. कांके, नामकुम, रातू और ओरमांझी क्षेत्र में साजिश रचने वाले जमीन के दलालों और उनके समर्थक नेताओं पर भी हमले हो रहे हैं।

काराेबारी काे गाेली मारने, कैशकांड में भी अफसर अली का नाम : धालभूम गढ़ में रांची के जमीन काराेबारी शुभाशीष मुखर्जी, गंगा विश्वकर्मा, शेखर कुशवाहा पर पिछले वर्ष अपराधियाें ने गाेली चलाई थी। इसमें मुखर्जी और विश्वकर्मा गंभीर रूप से घायल हाे गए थे।

पुलिस ने इस मामले में अपराधी बिट्टू सिंह और सद्दाम खान काे गिरफ्तार किया था। पूछताछ में अपराधियों ने अफसर अली अर्फ अफसू खान का नाम लिया था। वहीं 2013 के नगर निकाय चुनाव में मेयर प्रत्याशी रमा खलखाे के लिए एक हाेटल में पहुंचाए गए 21.90 लाख बरामद हाेने के मामले में भी अफसर अली का नाम सामने आया था।

चेशायर हाेम राेड में एक एकड़ जमीन की फर्जी बिक्री करने वालाें पर भी दबिश

चेशायर हाेम राेड में स्थित उमेश गाेप की एक एकड़ जमीन काे फर्जी कागजात के अाधार पर बेच दिया गया था। इसमें रांची के एक बड़े व्यवसायी, पुनीत भार्गव, राजेश राय, इम्तियाज अहमद, भरत प्रसाद, लखन सिंह के ऊपर सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। ईडी ने व्यवसायी व भार्गव काे छाेड़कर अन्य सभी अभियुक्ताें के घर पर छापेमारी करके दस्तावेज बरामद किए हैं।

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