भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर तीखा प्रहार: “बालू घाटों को माफियाओं के हवाले करने की साजिश”
रांची : झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर बालू घाटों की नीलामी को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार पर माफिया, दलालों और बिचौलियों के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार स्थानीय युवकों को रोजगार देने के नारे को मात्र छलावा बना रही है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए श्री मरांडी ने राज्य के 500 से अधिक बालू घाटों की नीलामी के लिए बनाई गई नियमावली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह नियमावली माफिया और दलालों द्वारा तैयार की गई लगती है, जबकि मंत्री और वरीय अधिकारी आंख मूंदकर हस्ताक्षर कर रहे हैं।
स्थानीय युवकों को रोजगार का वादा मात्र छलावा
श्री मरांडी ने सरकार के ‘स्थानीय युवकों को प्राथमिकता’ वाले नारे पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार निजी संस्थानों में 75% नौकरियां और 25 लाख तक के ठेके स्थानीय बेरोजगारों को देने की बात करती है, वहीं बालू घाटों की नीलामी के नियम ऐसे हैं कि गरीब, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग के लोग इसमें भाग ही न ले सकें। उन्होंने मांग की कि बालू घाटों का अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए।
बालू घाट नीलामी पर हाईकोर्ट की रोक, लेकिन सरकार की मंशा स्पष्ट
उन्होंने उल्लेख किया कि हाईकोर्ट ने पेसा कानून (पंचायतों को विस्तार से स्वायत्तता का अधिकार) लागू न करने के कारण बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगा दी है। लेकिन इससे हेमंत सरकार की मंशा साफ हो गई है कि वह ग्राम सभा को अधिकार नहीं देना चाहती और खनिज संसाधनों को माफिया-दलालों के माध्यम से लूटना चाहती है।
नई नियमावली में लूट का नया खेल
बाबूलाल मरांडी ने बालू घाटों को जिला स्तर पर समूहों में बांटने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उदाहरण के तौर पर गोड्डा जिले में 16 घाट ‘ए’ समूह में, जामताड़ा में 15 घाट ‘ए’ और 5 घाट ‘बी’ समूह में, दुमका में 14 घाट ‘ए’, 12 ‘बी’ और 5 ‘सी’ समूह में, सरायकेला में 4 ‘ए’ और 7 ‘बी’, पूर्वी सिंहभूम में 3 ‘ए’ और 2 ‘बी’ और गिरिडीह में 3 ‘ए’, 2 ‘बी’, 3 ‘सी’, 6 ‘डी’ और 2 ‘ई’ समूह।
इसमें आवेदन के लिए 15 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष टर्नओवर की शर्त लगाई गई है, जो शराब ठेकों के 25 लाख रुपये नॉन-रिफंडेबल शुल्क की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि ऐसी शर्तें इसलिए लगाई जाती हैं ताकि केवल ‘सेटिंग’ वाले ही भाग लें, जबकि आदिवासी और गरीब युवक बाहर रह जाएं।
अवैध उत्खनन को वैध बनाने की कोशिश
बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि नियमों के तहत यदि समूह के एक घाट को पर्यावरण अनुमति मिल जाती है, तो पूरे समूह से बालू उठाया जा सकता है। यह अवैध बालू उत्खनन को वैध बनाने और घाटों को माफियाओं के हवाले करने की साजिश है। उन्होंने सरकार को पहले ही चेतावनी पत्र लिखा था, लेकिन अनसुना करने का नतीजा यह है कि एक वरीय आईएएस अधिकारी और सचिव जेल पहुंच चुके हैं। यदि सरकार नहीं सुधरी, तो और सचिव जेल जाएंगे।
सरकार से मांग: ग्राम सभा को अधिकार दें
बाबूलाल मरांडी ने सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने और बालू घाटों का अधिकार ग्राम सभा को सौंपने की मांग की। उन्होंने कहा कि लूटने और लुटवाने की मंशा रखने वाले पदाधिकारी जेल के हकदार हैं।
प्रेस वार्ता में भाजपा के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा भी मौजूद रहे।







