भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कल ISS के लिए स्पेसएक्स ड्रैगन से उड़ान भरेंगे
भारतीय वायु सेना (IAF) के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कल, 11 जून 2025 को एक ऐतिहासिक मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। वह स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्षयान में सवार होंगे, जो नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च होगा। यह मिशन, जिसे Axiom Mission 4 (Ax-4) के नाम से जाना जाता है, भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि शुक्ला ISS का दौरा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे और 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!लॉन्च 11 जून को शाम 5:30 बजे IST पर निर्धारित है, और ड्रैगन अंतरिक्षयान को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। 24 घंटे से अधिक की यात्रा के बाद, अंतरिक्षयान 11 जून को रात 10:00 बजे IST पर ISS के साथ स्वायत्त रूप से डॉक करने की उम्मीद है। यह 14-दिवसीय मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों को पहली बार ISS पर ले जाएगा, जिसमें पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन मिशन की कमांडर होंगी।
ग्रुप कैप्टन शुक्ला, जो इस मिशन के पायलट के रूप में कार्य करेंगे, भारत के लिए सात वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में पौधों की वृद्धि और अंतरिक्ष खेती से संबंधित अध्ययन शामिल हैं। वह भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए सांस्कृतिक कलाकृतियां भी ले जाएंगे और अंतरिक्ष में योग करने की योजना बनाएंगे, जो 1.4 अरब भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतीक है।
“यह केवल मेरी व्यक्तिगत यात्रा नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व है,” शुक्ला ने लॉन्च से पहले एक ब्रीफिंग में कहा। वह नासा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और Axiom Space के बीच सहयोग का हिस्सा हैं, जो भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।
भारतीय वायु सेना और ISRO ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया है, जिसमें वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने शुक्ला और Ax-4 दल को एक सुरक्षित और सफल मिशन के लिए शुभकामनाएं दी हैं। यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती मौजूदगी को दर्शाता है, बल्कि 2026 में निर्धारित ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा।






