झारखंड शराब घोटाला: एसीबी की रातों-रात कार्रवाई, साक्ष्य नष्ट करने की साजिश का आरोप
झारखंड शराब घोटाला: एसीबी की रातों-रात कार्रवाई, साक्ष्य नष्ट करने की साजिश का आरोप
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रांची, 31 अगस्त : झारखंड में कथित शराब घोटाले ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। मंगलवार (29 अगस्त 2025) की रात उत्पाद विभाग के कार्यालय से भारी मात्रा में महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में ले जाया गया। यह कार्रवाई कथित तौर पर गुप्त रूप से और रात के अंधेरे में की गई, जिसे सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं माना जा रहा। इस घटना ने शराब घोटाले से जुड़े साक्ष्यों को नष्ट करने की साजिश के गंभीर आरोपों को जन्म दिया है।
क्या है मामला?
झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि यह कदम कथित तौर पर अवैध रूप से पद पर आसीन पुलिस महानिदेशक (DGP) की देखरेख में उठाया गया। मरांडी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इसे शराब घोटाले के साक्ष्यों को मिटाने और प्रवर्तन निदेशालय (ED) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की संभावित जांच से पहले सबूत नष्ट करने की साजिश करार दिया।
उन्होंने तीन प्रमुख सवाल उठाए:
1. आधी रात को एक ट्रक भर कागजात क्यों ले जाए गए?
2. क्या उत्पाद विभाग और एसीबी के भीतर कोई बड़ा भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है?
3. क्या यह कार्रवाई कुछ चुनिंदा अधिकारियों और राजनीतिक हस्तियों को बचाने के लिए की गई?

घोटाले का पृष्ठभूमि
2022 की उत्पाद नीति में अनियमितताओं के चलते झारखंड में 450 करोड़ रुपये के गबन के आरोप हैं। पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे सहित कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। हाल की जांच में फर्जी होलोग्राम और अवैध कमीशन के जरिए भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है।
राजस्व नुकसान की आशंका
पहले भी एसीबी द्वारा फाइलें जब्त करने से शराब दुकानों के आवंटन में देरी हुई, जिससे राजस्व हानि का खतरा है। मरांडी ने दावा किया कि यह कार्रवाई ED/CBI जांच से पहले साक्ष्य मिटाने की साजिश हो सकती है।
मुख्यमंत्री से मांग
मरांडी ने मुख्यमंत्री से त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है, ताकि साक्ष्य सुरक्षित रहें और जनता के हितों की रक्षा हो।





