झारखण्ड में मानदेय की आस में बैठे मनरेगा के कर्मियों के लिए अच्छी खबर
मनरेगा कर्मियों के लिए एक अच्छी खबर है . झारखण्ड में मानदेय की आस में बैठे करीब 5000 मनरेगा कर्मी की ग्रामीण विकास विभाग ने सुध ली है. मनरेगा कर्मियों, इंजीनियरों, पदाधिकारियों के मानदेय भुगतान के लिए 25 जून को राशि उपलब्ध कराये जाने का फैसला लिया गया है. साथ ही निर्देश जारी किया है कि किसी भी परिस्थिति में मानदेय के अलावा अन्य मद में राशि की निकासी नहीं की जाये. अन्य मद में राशि जल्द ही विभाग की ओर से उपलब्ध करायी जायेगी.हर महीने खर्च होते हैं साढ़े पांच करोड़
मनरेगा कर्मियों की संख्या 5000 है. इसके अलावा 735 इंजीनियर, 264 प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी और 3847 रोजगार सेवक हैं. इनके मानदेय पर लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये हर माह खर्च होते हैं. फिलहाल इनमें रोजगार सेवक को छोड़ बाकी कर्मियों के सामने मानदेय़ के अभाव में संकट खड़ा हो रहा था. कोरोना काल में मानदेय नहीं मिलने से मनरेगा कार्यक्रमों पर भी कई जगहों पर सुस्ती दिखने लगी थी. अब इसमें तेजी आय़ेगी.
प्रखंड स्तर पर बनी हुई है समस्या
मनरेगा कर्मी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है पर चिंता भी जतायी है. कहा है कि राज्य के स्तर से पैसे रिलीज करने में कोई समस्या नहीं आती. असली परेशानी प्रखंड स्तर पर होती है. प्रखंड कार्यालय से मानदेय के पैसे को रिलीज करने में उदासीनता बरती जाती है. 264 ब्लॉक हैं. इनमें से 30 फीसदी से अधिक प्रखंडों में मानदेय का पैसा 4 से 5 महीने बीतने के बावजूद कर्मियों को नहीं मिल रहा है. कर्मी लगातार प्रखंड कार्यालय में दौड़ने को बेबस हैं. उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसे में सरकार इस दिशा में भी एक्शन ले.