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राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर विवाद, आतंकी तहव्वुर राणा के भारत लाए जाने पर राजनीतिक दलों में क्रेडिट लेने की होड

26/11 मुंबई हमले का एक प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण ने देश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस घटना को अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर क्रेडिट लेने की होड़ शुरू हो गई है।

बीजेपी ने इसे वर्तमान सरकार की कूटनीतिक जीत बता रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व को श्रेय दिया गया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने दावा किया कि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया 2009 में यूपीए सरकार के दौरान शुरू हुई थी, और इसे उनकी रणनीतिक नींव का परिणाम बताया।

इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय नेता और विपक्षी दल इस मुद्दे पर अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं। कुछ ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, तो कुछ ने इसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। इस होड़ में राणा के प्रत्यर्पण जैसे गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण होने से आम जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

हालांकि यह स्पष्ट है कि तहव्वुर राणा का भारत आना एक लंबी कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रिया का नतीजा है, जिसमें कई वर्षों तक विभिन्न सरकारों और एजेंसियों का योगदान रहा। लेकिन इस क्रेडिट की दौड़ ने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर एकता के बजाय विवाद को बढ़ावा दिया है।

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