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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज का उद्घाटन, जानिए ब्रिज की विशेषता और इतिहास

 

प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ना थकते है ना रुकते है।आज श्रीलंका से लौटते  ही उन्होंने रविवार को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एशिया के पहले वर्टिकल लिफ्ट स्पैन रेलवे ब्रिज का उद्घाटन किया। इसका नाम पम्बन ब्रिज है। ब्रिज 2.08 किमी लंबा है। गौरतलब है की इस पूल की नींव नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही रखी थी। आइये जानते  है इसकी पूल खाशियत
पम्बन ब्रिज,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल, 2025  को रामेश्वरम में  इस पूल का उद्घाटन किया . यह पूल तमिलनाडु में है . यह ब्रिज एशिया का पहला वर्टिकल लिफ्ट स्पैन रेलवे ब्रिज है। यह 2.08 किलोमीटर लंबा ब्रिज पम्बन द्वीप (रामेश्वरम) को भारत की मुख्य भूमि, मंडपम (तमिलनाडु) से जोड़ता है। यह ब्रिज समुद्र के ऊपर बना है और खास तौर पर अपने वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज़म के लिए जाना जाता है, जो जहाजों को नीचे से गुजरने की अनुमति देता है। इसकी नींव खुद प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर 2019 में रखी थी, और लगभग साढ़े पांच साल बाद यह परियोजना पूरी हुई।
यह ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का एक नमूना है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जाहिर है रामेश्वरम एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो रामायण में वर्णित रामसेतु से जुड़ा हुआ है। रामसेतु, जिसे एडम्स ब्रिज भी कहते हैं, का निर्माण कथित तौर पर भगवान राम के नेतृत्व में धनुषकोडी (रामेश्वरम के पास) से शुरू हुआ था। इसलिए यह ब्रिज आस्था और पर्यटन के लिहाज से भी अहम है।
तकनीकी विशेषताएँ
नया पम्बन ब्रिज स्टील से निर्मित है और इसे भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। इसमें डबल ट्रैक की सुविधा है, जो पुराने सिंगल-ट्रैक ब्रिज की तुलना में रेल यातायात को दोगुना करने में सक्षम होगा। इसके अलावा, यह हाई-स्पीड ट्रेनों के संचालन के लिए भी उपयुक्त है, जो भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ब्रिज की सबसे खास बात इसका वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है। यह हिस्सा 72 मीटर लंबा है और इसे 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है, ताकि समुद्री जहाज आसानी से गुजर सकें। यह सुविधा मछुआरों और व्यापारिक जहाजों के लिए भी लाभकारी होगी। ब्रिज की कुल ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 22 मीटर है, जो इसे प्राकृतिक आपदाओं जैसे सुनामी या तेज लहरों से सुरक्षित रखने में मदद करेगी।
स्टील संरचना पर पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है, जो एक विशेष प्रकार की पेंट कोटिंग है। यह कोटिंग ब्रिज को समुद्र के नमकीन पानी और हवा से होने वाले जंग (कोरोजन) से बचाती है। यह तकनीक इसलिए जरूरी थी, क्योंकि पुराना पम्बन ब्रिज, जो 1914 में बनाया गया था, जंग की वजह से 2022 में बंद करना पड़ा था। पुराने ब्रिज के बंद होने से रामेश्वरम और मंडपम के बीच रेल संपर्क टूट गया था, जिससे स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों को काफी परेशानी हुई।
ऐतिहासिक संदर्भ और पुराना ब्रिज
पुराना पम्बन ब्रिज ब्रिटिश काल में बनाया गया था और यह भारत का पहला समुद्री रेलवे ब्रिज था। 24 फरवरी, 1914 को इसका उद्घाटन हुआ था। यह 2.06 किलोमीटर लंबा था और उस समय की इंजीनियरिंग का एक चमत्कार माना जाता था। इसके मध्य में एक डबल-लीफ बेसक्यूल सेक्शन था, जो जहाजों के लिए खुलता था। हालांकि, समय के साथ खारे पानी और मौसम की वजह से इसकी हालत खराब हो गई। 1964 में आए एक चक्रवात ने इसे और नुकसान पहुंचाया, लेकिन यह फिर भी दशकों तक चला। 2022 में जब यह पूरी तरह असुरक्षित हो गया, तो इसे बंद कर दिया गया। नया ब्रिज इसी पुरानी संरचना की जगह लेगा और आधुनिक तकनीक के साथ बेहतर सुविधाएँ प्रदान करेगा।
निर्माण और लागत
नए पम्बन ब्रिज के निर्माण की नींव नवंबर 2019 में रखी गई थी। इसकी अनुमानित लागत लगभग 550 करोड़ रुपये थी, और इसे भारतीय रेलवे के दक्षिण रेलवे जोन ने बनवाया। निर्माण में कई चुनौतियाँ थीं, जैसे समुद्र के बीच में काम करना, तेज हवाएँ, और जंग से बचाव के लिए विशेष सामग्री का इस्तेमाल। फिर भी, यह परियोजना समय पर पूरी हुई, जो भारत की बुनियादी ढांचा विकास की क्षमता को दर्शाता है।
अन्य परियोजनाएँ
पम्बन ब्रिज के उद्घाटन के साथ-साथ, प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु में 8300 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई रेल और सड़क परियोजनाओं का भी शिलान्यास और उद्घाटन किया। इनमें रेल लाइनों का दोहरीकरण, स्टेशनों का आधुनिकीकरण, और सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर करने वाली परियोजनाएँ शामिल हैं। ये प्रोजेक्ट तमिलनाडु के आर्थिक विकास, पर्यटन और रोजगार सृजन में योगदान देंगे।
प्रभाव और भविष्य
नया पम्बन ब्रिज रामेश्वरम के लिए एक नई जीवन रेखा की तरह है। यह रेल संपर्क को बहाल करेगा, जिससे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय लोगों को सुविधा होगी। साथ ही, हाई-स्पीड ट्रेनों की सुविधा से दक्षिण भारत के अन्य शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ेगी। यह क्षेत्र मछली पकड़ने और छोटे व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण है, और वर्टिकल लिफ्ट की सुविधा से समुद्री यातायात प्रभावित नहीं होगा।
धार्मिक रूप से, रामेश्वरम और धनुषकोडी का महत्व पहले से ही बहुत अधिक है। इस ब्रिज के बनने से यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में और इजाफा हो सकता है। इसके अलावा, यह भारत के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है।

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