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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत पहुंचेंगे: 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दो दिवसीय राजकीय यात्रा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज शाम भारत पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर यह दो दिवसीय राजकीय यात्रा 4 से 5 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। यह यात्रा 2021 के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा है और इसमें 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा।

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विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, पुतिन का यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। राष्ट्रपति पुतिन शाम 7 बजे दिल्ली में उतरेंगे, जहां प्रधानमंत्री मोदी उनके सम्मान में एक निजी डिनर आयोजित करेंगे। कल, 5 दिसंबर को, पुतिन सबसे पहले राजघाट जाएंगे और उसके बाद हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक होगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पुतिन से अलग से मुलाकात करेंगी और उनके सम्मान में राज्य भोज का आयोजन किया जाएगा।

इस यात्रा के दौरान रक्षा, ऊर्जा और व्यापार क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। रूस की ओर से एस-400 मिसाइल प्रणाली और सु-57 स्टील्थ फाइटर जेट जैसे सौदों को आगे बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। इसके अलावा, स्थानीय मुद्रा में व्यापार, तेल आयात और परमाणु ऊर्जा सहयोग पर चर्चा होगी। हाल के वर्षों में अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है, लेकिन दिसंबर में आयात में कमी आने की खबरें हैं, जिसे संबोधित करने की कोशिश की जाएगी।

क्रेमलिन ने कहा है कि यात्रा के दौरान कई अंतर-सरकारी और व्यावसायिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होंगे। पुतिन के साथ रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, स्बरबैंक, रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, रोसनेफ्ट और गैजप्रोमनेफ्ट के प्रमुख जैसे वरिष्ठ अधिकारी और व्यवसायी शामिल होंगे। पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इसे “अत्यधिक महत्वपूर्ण और ठोस यात्रा” करार दिया, जिसमें ऊर्जा, व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा होगी।

पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस संबंधों के 25 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। 2000 में राष्ट्रपति बनने के बाद से पुतिन ने भारत की कई यात्राएं की हैं, जो दोनों देशों की मजबूत साझेदारी को दर्शाती हैं। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद यह दौरा और भी प्रासंगिक हो गया है।

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