सैम पित्रोदा का विवादित बयान: ‘पाकिस्तान में घर जैसा महसूस हुआ’, सफाई में कहा- साझा इतिहास पर जोर था

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा एक बार फिर अपने बयान से सुर्खियों में हैं। बिहार विधानसभा चुनावों के ठीक पहले उन्होंने पाकिस्तान को ‘घर जैसा’ बताकर राजनीतिक हंगामा मचा दिया है। भाजपा ने इसे कांग्रेस की ‘पाकिस्तान प्रेम’ की मिसाल बताते हुए जोरदार हमला बोला है, जबकि कांग्रेस ने इसे संदर्भ से हटकर पेश करने का आरोप लगाया है। पित्रोदा ने बाद में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सफाई देते हुए कहा कि उनका इरादा उपमहाद्वीप के साझा इतिहास और लोगों के आपसी संबंधों पर जोर देना था, न कि दर्द या संघर्ष को नजरअंदाज करना।
पित्रोदा ने एक साक्षात्कार में भारत की विदेश नीति पर चर्चा करते हुए कहा, “हमारी विदेश नीति को सबसे पहले पड़ोस पर केंद्रित करना चाहिए। क्या हम पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के साथ संबंधों को मजबूत कर सकते हैं? मैं पाकिस्तान गया हूं और मुझे घर जैसा महसूस हुआ। बांग्लादेश और नेपाल में भी ऐसा ही लगा। वे लोग मेरे जैसे दिखते हैं, मेरी तरह बोलते हैं, मेरे गाने पसंद करते हैं और मेरा खाना खाते हैं। इसलिए हमें शांति और सद्भाव के साथ रहना चाहिए।” उन्होंने जोड़ा कि क्षेत्र के देशों में ‘साझा जीन पूल’ है और इन छोटे देशों को मदद की जरूरत है।
भाजपा ने पित्रोदा के बयान को कांग्रेस की ‘पाकिस्तान समर्थक’ मानसिकता का प्रमाण बताते हुए हमला बोला। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “राहुल गांधी के सबसे करीबी सलाहकार सैम पित्रोदा, जो 1984 के सिख विरोधी दंगों पर ‘हुआ तो हुआ’ कह चुके हैं और भारतीयों पर नस्लवादी टिप्पणी कर चुके हैं, पाकिस्तान को अपना घर बता रहे हैं। आश्चर्य नहीं, क्योंकि कांग्रेस का पाकिस्तान से ‘अटूट प्रेम’ है। 26/11, समझौता, पुलवामा पर पाक को क्लीन चिट, आर्टिकल 370 और सर्जिकल स्ट्राइक पर पाक का पक्ष लेना – ये सब इसी का प्रमाण हैं। आईएनसी यानी इस्लामाबाद नेशनल कांग्रेस!”
एक अन्य प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक्स पर लिखा, “राहुल गांधी के ब्लू-आईड बॉय सैम पित्रोदा पाकिस्तान को घर बता रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि यूपीए ने 26/11 के बाद पाक पर सख्त कार्रवाई नहीं की। पाकिस्तान का फेवरेट, कांग्रेस का चॉइस!” भाजपा ने यासीन मलिक के हवाले से कांग्रेस पर हाफिज सईद से बैकचैनल संपर्क का भी आरोप लगाया।
विवाद बढ़ने के बाद पित्रोड़ा ने एक्स पर पोस्ट कर सफाई दी। उन्होंने लिखा, “जब मैंने कहा कि पड़ोसी देशों में मुझे ‘घर जैसा’ महसूस होता है या हम सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से जड़ें साझा करते हैं, तो मेरा आशय साझा इतिहास और लोगों के बीच बंधनों पर जोर देना था। दर्द, संघर्ष, आतंकवाद या भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न चुनौतियों को नजरअंदाज करना नहीं था। मेरा हमेशा इरादा वास्तविकताओं पर ध्यान केंद्रित करना रहा है। मैं पारदर्शिता, सम्मानजनक संवाद और संस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
कांग्रेस ने भी बचाव किया। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाते ने कहा, “पित्रोड़ा एक बुद्धिजीवी हैं। उनका बयान साझा सांस्कृतिक विरासत पर था, न कि पाकिस्तान की सराहना पर। भाजपा इसे तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। आरएसएस का ‘अखंड भारत’ का नारा भी तो इसी साझा इतिहास पर आधारित है।”
यह बयान बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आया है, जहां इंडिया गठबंधन (कांग्रेस सहित) भाजपा के खिलाफ जोरदार अभियान चला रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कांग्रेस के लिए बैकफुट पर आने का सबब बनेगा, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर। हाल ही में एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच की मंजूरी पर कांग्रेस ने केंद्र की आलोचना की थी, जो अब उल्टा पड़ सकता है।
सैम पित्रोदा विवादों से अजनबी नहीं हैं। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों पर ‘हुआ तो हुआ’ कहकर पार्टी को असहज किया था। 2024 चुनावों से पहले पैतृक संपत्ति को गरीबों में बांटने की सलाह और भारतीयों की शारीरिक बनावट पर नस्लवादी टिप्पणी (पूर्वी भारतीय चीनी जैसे, दक्षिणी अफ्रीकी जैसे) के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। फरवरी 2025 में चीन पर ‘ज्यादा खतरा बताना गलत’ कहकर भी उन्होंने विवाद खड़ा किया था।
पित्रोदा, जो राजीव गांधी के समय से गांधी परिवार के करीबी सलाहकार रहे हैं, अक्सर अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं, लेकिन ये बयान पार्टी के लिए बार-बार सिरदर्द साबित होते हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ऐसे बयान विपक्ष को आसान हथियार दे देते हैं।





