sammed shikarji

पारसनाथ पहाड़ी पर जैन धर्म के सम्मेद शिखरजी ( sammed shikharji  )को पर्यटनस्थल घोषित करने पर पूरे भारत मे विरोध जैन समाज आहत

 

 

सम्मेद शिखर ( sammed shikharji  )को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की मांग लगातार हो रही है. इस बीच जैन समाज के बड़े मुनि में से एक प्रमाण सागर जी महाराज ने भी इस क्षेत्र को टूरिज्म की जगह तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की मांग रखी है. सम्मेद शिखर ( पारसनाथ ) जैन धर्म का पवित्र तीर्थस्थल है. यहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी. अगस्त 2019 को झारखण्ड सरकार की और से की गई अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन जीव अभ्यारण और इको सेंसेटिव जोन के रूप में नोटिफाई किया है. जैन समाज का कहना है कि इलाके में पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों को इजाजत देना गलत है. इस नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग लगातार चल रही है देश के कई हिस्सों में जैनियों ने रैली निकाली है और अपना विरोध जताया है. इस बीच जैन धर्म के बड़े महाराज में से एक मुनि प्रमाणसागर जी महाराज ने अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि यह विरोध केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के कारण हो रहा है. इसे इको सेंसेटिव जोन बनाया गया था अब इको टूरिज्म की बात आ रही है. चूंकि इको टूरिज्म शब्द जुड़ते ही लोगों के मन में ऐसी बात आ चुकी है कि टूरिज्म क्षेत्र घोषित होते ही क्षेत्र की पवित्रता बाधित होगी. कहा कि इसे पर्यटक घोषित करने की जगह काशी विश्वनाथ, वैष्णव देवी जैसा पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए. इसे लेकर सराकर से बातचीत चल रही है और ऐसी उम्मीद है कि बहुत जल्द जैन समाज की मांग सुनी जायेगी. कहा हमलोग इसे लेकर काफी सकारात्मक भी हैं. सभी समाज का मिल रहा है सहयोग मुनि प्रमाण सागर जी महाराज ने देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर कहा कि स्वाभाविक भावना पर जब आघात लगता है तो लोगों की प्रतिक्रिया सामने आती है. वैसे स्थिति अब सामान्य हो रही है और जल्द ही अच्छे परिणाम आयेंगे. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की पवित्रता बनी रहे और क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जाए जिससे यहां आनेवाले श्रद्धालुओं को सुविधा भी मिले. कहा कि धर्म क्षेत्र के रूप में सरकार विकास कार्य करे नहीं तो विकास कार्य के लिए जैन समाज सक्षम है. वही देश के अलग अलग हिस्सों से पारसनाथ पहुचे तीर्थ यात्री ने भी सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल के बजाय पवित्र तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है तीर्थ यात्रियों का कहना है कि जैन धर्मवाले लोगो के लिए यह आस्था का केंद्र है और पर्यटक स्थल हो जाने से धर्मकरने आए लोगो पर असर पड़ेगा इसलिए सरकार इस विषय पर सोचे .

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इसी  बीच गिरिडीह डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने पारसनाथ विकास प्राधिकारण की उच्चस्तरीय बैठक की. सरकार के निर्देश के आलोक में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, पीरटांड़ बीडीओ और अंचलाधिकारी के साथ डुमरी एसडीपीओ मनोज कुमार के साथ मधुबन के गुणायतन के महामंत्री सुभाष जैन, बीस पंथी कोठी के सुमन सिन्हा समेत कई अधिकारी और अलग अलग तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सदस्य शामिल हुए. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने मौजूद अधिकारयों को कड़ा निर्देश जारी करते हुए कहा कि साल बीतने को है और नया साल आने वाला है, ऐसे में इसे ध्यान में रखते हुए पूरे सम्मेद शिखर मधुबन में किसी सूरत में मांस मंदिरा की बिक्री नही हो और न ही सम्मेद शिखर में प्रवेश करने वाले ही कोई इसका इस्तेमाल करे क्योंकि सम्मेद शिखर मधुबन कई दशक से आस्था का केंद्र है. पारसनाथ विकास प्राधिकारण की हुई इस बैठक में कई और मुद्दों पर चर्चा हुई.डीसी ने जोर देते हुए कहा की जल्द ही सम्मेद शिखर के डेवलपमेंट को लेकर पैनल का गठन किया जाएगा. इसी पैनल के सुझाव पर मधुबन में नए सड़क निर्माण के साथ बायो शौचालय का भी निर्माण किया जाना है. लेकिन मांस मंदिरा पर जो रोक पहले से लगा हुआ है उसका पालन अब और कड़ाई से किया जाएगा. इसमें कोई लापरवाही नहीं होगी, बैठक में शामिल गुणायतन ट्रस्ट के मंत्री सुभाष जैन ने कहा की अब मधुबन में बीस तीर्थकरो के पूजन दर्शन और वंदन के लिए आने वाले भक्तों को हर मंदिर ट्रस्ट और भवन के द्वारा सुझाव दिया जाएगा कि वो सम्मेद शिखर की पवित्रता बनाए रखने के लिए मद्दत करे प्लास्टिक का उपयोग न करे . यहां तक कि प्लास्टिक को पार्श्वनाथ पहाड़ी पर भी लेकर नही जाए. जिससे वंदना करने और आस्था पर कोई चोट नहीं हो. इस दौरान डीसी ने कहा की पर्यटन स्थल के रूप में किए जाने को लेकर जो भ्रम है उसे दूर करने का प्रयास होगा.

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