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झारखण्ड में धर्मान्तरण ( conversion)का खेल जारी ! निशाने पर सनातन धर्म के अंदर समाज के सभी लोग

झारखण्ड में धर्मांतरण (conversion) का खेल कोई नया नहीं है जभ से झारखण्ड अलग राज्य बना है तब से आपको झारखण्ड में धर्मांतरण करते हुए कई परिवार मिल जायेंगे ।LEKIN पिछले सात वर्षो से जब से रघुवर साकार आई थी तभ से धर्मांतरण का खेल कमजोर जरूर हुए था लेकिन कई कस्बो इलाको में यह खेल चोरी छुपे जारी था । पांचजन्य की रिपोर्ट को माने तो  पहले कन्वर्जन करने वाले लोग सिर्फ जनजातीय समाज के लोगों को निशाना बनाते थे, लेकिन अब इनके निशाने पर सनातन धर्म के अंदर सभी समाज के लोग आ चुके हैं। अभी हाल ही में रांची से 40 किलोमीटर दूर रातू प्रखंड के ठाकुर गांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत बानापीढ़ी गांव में 6 परिवारों का धर्मान्तरण  कराया गया है। इन परिवारों में जनजातीय समाज के 3 परिवारों के साथ महतो, ठाकुर और नायक समाज से एक-एक परिवार को मतांतरित कर दिया गया है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना मिलते ही मतांतरण के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया। सभा बुलाई गई और मतांतरण करने वालों के खिलाफ थाने में पूरा मामला दर्ज करा दिया गया है।

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इसी गांव के ग्राम प्रधान मनोज उरांव के अनुसार जनजातीय समाज के लोग काफी सीधे होते हैं इसलिए लोग इन्हें दिग्भ्रमित कर इसाई बना देते हैं। इन्हें कई प्रकार के प्रलोभन देकर और बीमारी का इलाज करने के नाम पर पहले इन्हें प्रार्थना सभा और चंगाई सभा में लाया जाता है उसके बाद धीरे-धीरे इनका कन्वर्जन करा दिया जाता है। लेकिन अब पानी सर से ऊपर चला गया है इसीलिए किसी भी कीमत पर गांव का माहौल नहीं बिगड़ने दिया जाएगा।

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झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि यह मामला केवल बानापीढ़ी का ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड का है। अब तक इन मिशनरियों के निशाने पर सिर्फ जनजातीय समाज रहा करते थे। लेकिन अब तो सनातन धर्म को मानने वाले सभी समाज के लोगों को यह लोग निशाना बना रहे हैं। मेघा उरांव ने यह भी कहा कि समाज अभी भी नहीं जागा तो आने वाले 40 से 50 सालों में जनजाति समाज का अस्तित्व और पहचान ही खत्म हो जाएगी। आदिवासी मंच के कार्यकारी अध्यक्ष सन्नी टोप्पो के अनुसार आने वाले समय में कन्वर्जन करने वाले लोगों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

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बानापीढ़ी के इस घटना की जानकारी मिलने के बाद गांव वालों ने बैठक कर कन्वर्टेड  लोगों से अपने मूल धर्म में घर वापसी करने की बात कही। इसके साथ ही बैठक में यह कहा गया है कि कन्वर्जन कराने वाले लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाए। इस बैठक में गांव के मुखिया सोनी भगत, विनोद उरांव, बजरंग उरांव रामदास उरांव, बिरसा पहन, मांगी भगत  सहित  सभी समाज के लोग मौजूद रहे। ग्रामीणों के अनुसार कन्वर्टेड होने वाले और कराने वाले लोगों में सुनीता मुंडा, जगदीश उरांव , हिंदिया उरांव, राजेंद्र नायक, प्रतिभा कच्छप, संजय उरांव, प्रकाश उरांव, सरिता मुंडा, पूनम भगत, कृष्णा महतो, जय गोविंद ठाकुर आदि लोग शामिल हैं।

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बैठक के बाद बानापीढ़ी के ग्रामीणों ने ठाकुर गांव के इस मामले को लेकर ठाकुरगांव के थाने में शिकायत दर्ज कराई है। थाना प्रभारी प्रमोद कुमार राय का कहना है कि उन सभी लोगों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है, जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। कुछ दिनों पहले भी झारखंड के जमशेदपुर में चंगाई सभा के नाम पर कन्वर्जन का खेल जोर शोर से चल रहा था। इस रैकेट को चलाने वाले शख्स का नाम पास्टर रवि सिंह है जो पूर्व में सिख समुदाय का अनुयाई था बाद में ईसाई बन गया। बीते 27 फरवरी को जमशेदपुर के शिक्षकों और पास्टर रवि सिंह के बीच काफी तीखी बहस हुई। इसके बाद पुलिस उसे थाने ले गई, लेकिन रवि सिंह के रसूख की वजह से सिर्फ 24 घंटे के अंदर ही उसे वहां से बाहर निकाल लिया गया और फिर से कन्वर्जन का खेल अपने ही छत पर शुरू कर दिया। भाजपा कार्यकर्ता सुमन सौरभ ने जानकारी देते हुए बताया कि पास्टर रवि सिंह गंभीर बीमारी के इलाज और चंगाई सभा के नाम पर लोगों से लाखों रुपए ठगने का काम करता आया है। लोगों को अंधविश्वास का डर दिखाकर कई लोगों का कन्वर्जन करवा चुका है।

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आपको बता दें कि झारखंड राज्य में कन्वर्जन करने से पहले उपायुक्त के पास आवेदन देना होता है। लेकिन पांचजन्य की रिपोर्ट के अनुसार  मिशनरी के लोग प्रार्थना और चंगाई सभा के नाम पर इन्हें बहला-फुसलाकर कन्वर्जन  कराने का काम करते हैं। इसके बाद कन्वर्जन करने वाले लोगों से ये कहलवा दिया जाता है कि उन्होंने काफी पहले कन्वर्जन कर लिया था ताकि उन पर कोई मामला दर्ज न हो सके। इस पूरे मामले में उन्हें मिशनरियों के साथ कई बड़े लोगों का भी मिल जाता है। अमूमन यही हालत पूरे झारखंड की है। झारखंड में अभी हेमंत सोरेन की सरकार है। हेमंत सोरेन का कहना है कि उनकी सरकार जनजातीय समाज के उत्थान की बात करती है। लेकिन जिस तरह से पूरे झारखंड में मिशनरियों ने अपना उत्पात मचा रखा है उस लिहाज से यह कहीं से भी प्रतीत नहीं हो रहा है कि झारखंड में जनजातीय समाज का विकास हो पाएगा।

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