बोकारो में सनसनीखेज मामला: प्रॉपर्टी के लालच में 71 वर्षीय मां और 48 वर्षीय बेटे को 15 महीने तक बंद कमरे में बंधक बनाकर रखा ..

बोकारो में सनसनीखेज मामला: प्रॉपर्टी के लालच में 71 वर्षीय मां और 48 वर्षीय बेटे को 15 महीने तक बंद कमरे में बंधक बनाकर रखा, पुलिस ने सामाजिक संस्था की सूचना पर रेस्क्यू किया
बोकारो, 14 अक्टूबर : झारखंड के बोकारो जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जो मानवता की सारी सीमाओं को पार कर जाती है। सेक्टर-6 थाना क्षेत्र के क्वार्टर नंबर 2517 में एक किराए के मकान में 71 वर्षीय बुजुर्ग महिला सीता देवी और उनके 48 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर बेटे संतोष कुमार महतो को पिछले 15 महीनों से बंद कमरे में बंधक बनाकर रखा गया था। यह अमानवीय कृत्य संपत्ति हड़पने की लालच में किया गया, और इसकी जानकारी एक सामाजिक संस्था को मिलने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। आरोपी अशोक सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, और मामले की गहन जांच चल रही है।
पीड़ितों की पहचान
पीड़ित मां-बेटा चास के बंसीडीह क्षेत्र के मूल निवासी हैं। सीता देवी (71 वर्ष) एक बुजुर्ग विधवा हैं, जबकि उनका बेटा संतोष कुमार महतो (48 वर्ष) लंबे समय से मानसिक रूप से कमजोर है। संतोष की यह स्थिति उनके परिवार को पहले से ही आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर कर रही थी। परिवार की एकमात्र संपत्ति—एक छोटा सा प्लॉट या घरेलू मकान—उनकी आजीविका का आधार था, लेकिन यही संपत्ति ने उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया।संतोष ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वे मूल रूप से हजारीबाग जिले के रहने वाले हैं, लेकिन पारिवारिक विवादों के कारण चास में रहते थे। उनकी संपत्ति पर कुछ दूर के रिश्तेदारों या परिचितों का नजराना था, जिसके कारण कानूनी झंझट शुरू हो गया। इस विवाद में फंसकर संतोष और उनकी मां आर्थिक संकट में डूब गए थे।
प्रॉपर्टी विवाद का काला सच
मामले की जड़ एक पारिवारिक संपत्ति विवाद में है। संतोष ने बताया कि हजारीबाग में उनके प्लॉट को लेकर कुछ लोगों से विवाद हो गया था। इस मुकदमे में फंसने के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ। उन्होंने अपनी संपत्ति बेचकर मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन पैसे डूब गए। इसी दौरान एक वकील ने संपर्क किया, जो मामले को सुलझाने का वादा करके उन्हें बोकारो ले गया। वकील के कहने पर आरोपी अशोक सिंह ने बीच में कदम रखा। अशोक ने पैसे खर्च कर विवाद सुलझाने का भरोसा दिया, लेकिन उसका असली मंसूबा संतोष की बची-खुची संपत्ति हड़पना था।संतोष के अनुसार, अशोक सिंह ने एक फर्जी समझौते के तहत उन्हें और उनकी मां को बोकारो के सेक्टर-6डी स्थित क्वार्टर नंबर 2517 में ले जाकर बंद कर दिया। बाहर से ताला जड़ दिया गया, और दरवाजा कभी खुलने नहीं दिया गया। अशोक सिंह ने धमकी दी कि जब तक पूरी संपत्ति उनके नाम न हो जाए, वे बाहर नहीं निकल सकते। संतोष ने बताया कि वे कई बार बालकनी से चिल्लाकर मदद मांगते थे, लेकिन पड़ोसियों ने अनदेखी की। कभी-कभी अशोक या उसके साथी थोड़ा-बहुत चावल-दाल या रोटी दे जाते थे, लेकिन भोजन और पानी की भारी किल्लत थी। कमरे में कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं—न शौचालय, न साफ पानी। दोनों को कई-कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहना पड़ता था।सबसे दर्दनाक बात यह है कि यह कैद जुलाई 2024 से चल रही थी, यानी पूरे 15 महीने। इस दौरान सीता देवी की सेहत बुरी तरह बिगड़ गई—उनकी उम्र के कारण कमजोरी इतनी बढ़ गई कि वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गईं। संतोष की मानसिक स्थिति भी और खराब हो गई। वे दोनों एक-दूसरे के सहारे ही जीवित है।
सामाजिक संस्था ने निभाया फर्ज
यह सनसनीखेज मामला तब प्रकाश में आया जब एक स्थानीय सामाजिक संस्था को संदिग्ध गतिविधियों की भनक लगी। संस्था के सदस्यों ने सेक्टर-6 थाना को सूचना दी कि क्वार्टर नंबर 2517 में लंबे समय से कोई आवाजाही नहीं हो रही, और कभी-कभी अंदर से रोने की आवाजें सुनाई देती हैं। थाना प्रभारी संगीता कुमारी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। दरवाजे का ताला तोड़कर अंदर घुसे तो नजारा देखकर सब सन्न रह गए—गंदगी से सना कमरा, कमजोर और कुपोषित मां-बेटा, जो डर के मारे सिकुड़ गए थे।पुलिस ने दोनों को तुरंत सुरक्षित बाहर निकाला और चिकित्सकीय जांच के लिए बोकारो सामान्य अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि दोनों कुपोषण और डिहाइड्रेशन का शिकार हैं, लेकिन खतरे से बाहर हैं। संतोष को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पास भेजा गया है। फिलहाल, दोनों को चास के बंसीडीह स्थित रिश्तेदारों के पास भेज दिया गया है, जहां उनका बेहतर इलाज और देखभाल हो सकेगी।आरोपी अशोक सिंह, जो सेक्टर-3 का निवासी है, को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस को शक है कि उसके साथ एक वकील और अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि अशोक ने संपत्ति के कागजातों पर हेराफेरी करने की कोशिश की थी। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 140 (गिरफ्तारी और बंधक बनाने के लिए), 351 (आपराधिक धमकी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
समाज का आईना: पड़ोसियों की चुप्पी ने बढ़ाई चिंता
इस घटना का एक और काला पहलू यह है कि 15 महीनों तक किसी पड़ोसी ने पुलिस को सूचना नहीं दी। थाना प्रभारी संगीता कुमारी ने कहा, “यह बेहद दुखद है कि इतने लंबे समय तक अपराध के बीच में रहने वाले लोग चुप्पी साधे रहे। सामाजिक जागरूकता की कमी ही ऐसी घटनाओं को जन्म देती है।” पुलिस अब पड़ोसियों से भी पूछताछ कर रही है कि क्या उन्हें कोई संदेह नहीं हुआ।स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई है।







