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शहादत दिवस पर सोनाहातु में शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा का अनावरण, जयराम महतो ने दी श्रद्धांजलि

सोनाहातु : झारखंड अलग आंदोलन के महानायक शहीद निर्मल महतो की 38वीं शहादत दिवस पर आज पूरे प्रदेश में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर ‘झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा’ द्वारा सोनाहातु के जाडेया मोड़ में शहीद निर्मल महतो की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। भारी बारिश के बावजूद हजारों लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए और बरसात में भींगते हुए शहीद के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

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कार्यक्रम के तहत झारखंड मेला मैदान, सोनाहातु से एक विशाल बाइक रैली शुरू हुई, जो पुराना ब्लॉक ऑफिस, थाना मैदान, जामुदाग मोड़ और तेलवारी मोड़ होते हुए जाडेया मोड़ पहुंची। रैली में वाहनों का भारी काफिला शामिल था, जिसके कारण ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन तैनात रहा। प्रतिमा का अनावरण डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो, संगठन के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो और भूमि दाता करम सिंह महतो ने संयुक्त रूप से सांस्कृतिक गीत-संगीत के बीच विधिवत् किया।

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए टाइगर जयराम महतो ने कहा कि जिस तरह देश की आजादी में भगत सिंह की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता, वैसे ही झारखंड अलग आंदोलन में शहीद निर्मल महतो का बलिदान अविस्मरणीय है। उनके कथनानुसार, आज सदन में सवाल उठाने पर सरकार को परेशानी हो रही है, लेकिन सरकार जवाब देने की जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। उन्होंने शहीद के सपनों को साकार करने का संकल्प दोहराया।

संगठन के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो ने कहा, “शहीदों की कभी मृत्यु नहीं होती। उनके विचार और सोच हमेशा जीवित रहते हैं। शहीद निर्मल महतो के नक्शेकदम पर चलते हुए हम अन्याय और क्षेत्रीय अधिकारों के लिए निरंतर संघर्षरत हैं।” उन्होंने झारखंड आंदोलन में निर्मल महतो के योगदान को अमर बताते हुए उनके आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में फुलेश्वर बैठा, दमयंती मुंडा, मनोज यादव, गुना भगत, बिहारी महतो, विनोद स्वांसी, समुद्र पाहन, लीलावती देवी, पंचम एक्का, आलोक उरांव, जलेश्वर मार्शल, राजू महतो, चंदन रजक सहित कई वरीय पदाधिकारी और हजारों लोग उपस्थित थे। भारी बारिश के बावजूद लोगों का उत्साह और शहीद के प्रति श्रद्धा देखते ही बन रही थी।

शहीद निर्मल महतो की शहादत ने झारखंड आंदोलन को नई दिशा दी थी, और उनकी स्मृति आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। यह आयोजन उनके बलिदान और झारखंड के लिए उनके सपनों को फिर से याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर रहा।

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