सम्मेद शिखरजी (Sammed Shikharji)का विवाद गहराया , अपने दावों के साथ पांच राज्यों से आदिवासी झारखण्ड पहुँच रहे है ।
Sammed Shikharji controversy
गिरिडीह : सम्मेद शिखर जैन समाज के विरोध के इतर झारखण्ड में आदिवासी समाज भी अपने दावे कर रहा है , जिससे झारखण्ड सरकार के लिए मामला ज्यादा पेचीदा हो गया है। पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासी समुदाय मरांग बुरु यानि पवित्र स्थल बताकर अपना अलग दावा कर रहा है इसी दावे को लेकर आदिवासी समाज भी मंगलवार को प्रदर्शन कर रहा है। पारसनाथ पहाड़ के आसपास की दुकानें को बंद कराया गया है। सभा स्थल पर नारेबाजी करते हुए लोग पहुंच रहे हैं। पूरे इलाके में पुलिस फोर्स तैनात की गई है। झारखंड के आदिवासी संताल समुदाय ने दावा किया है कि पूरा पहाड़ उनका है। यह उनका मरांग बुरु यानी बूढ़ा पहाड़ है। ये उनकी आस्था का केंद्र है। यहां वे हर साल आषाढ़ी पूजा में सफेद मुर्गे की बलि देते हैं। इसके साथ छेड़छाड़ उन्हें मंजूर नहीं होगी।
पारसनाथ पहाड़ी ( PARASNATH TAMPLE ) ( सम्मेद शिखर ) को लेकर आदिवासियों का महाजूटान 10 जनवरी से
इस दावे को लेकर मंगलवार को जनसभा का आयोजन किया गया है। पारसनाथ पहाड़ से 2 किलोमीटर दूर मधुबन थाना ग्राउंड में संताल समाज के लोगों जुट रहे हैं। इसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों से संताल समाज के लोग शामिल हैं। इस विरोध-प्रदर्शन से पहले गिरिडीह जिला प्रशासन ने पहल की थी कि दोनों समुदाय के बीच कोई रास्ता निकले।
चतरा (CHATRA)माओवादी बम प्लानर अरेस्ट पुलिस टीम को उड़ाने के उदेश्य से करता था सड़क में बम प्लांट.
अंतरराष्ट्रीय संताल परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश कुमार मुर्मू ने एक निजी अखबार से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा, हम आश्वासन नहीं चाहते हम इस पर ठोस कागजी कार्रवाई चाहते हैं। हमारे विरोध प्रदर्शन की तैयारी लंबे समय से चल रही है। आज कई राज्यों से लोग यहां पहुंचे हैं। हम अपने अधिकार के लिए लड़ना जानते हैं। संताल समाज के कई संगठन इस आंदोलन का हिस्सा हैं। विरोध और आंदोलन में सत्ताधारी दल के झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी शामिल हैं। हेम्ब्रम ने कहा है कि लड़ाई आर-पार की होगी। आदिवासी समाज के लोग वर्षों से इस इलाके में रह रहे हैं, अब उन्हें ही बलि देने से रोका जा रहा है। जमीन हमारी, पहाड़ हमारे और कब्जा किसी और का, हम कब्जा नहीं करने देंगे।