विवाह के आधार पर नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ : हाई कोर्ट
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति में आरक्षण का लाभ देने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. अवलतने प्रार्थी व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) का पक्ष डे के बाद प्रार्थी को राहत
देने से इंकार कर दिया. कहा कि प्रा्थी कुमारी आरती उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी. उनका विवाह झारखंड में हुआ है. किसी दूसरे राज्य की आरक्षित श्रेणी की युवती को विवाह के आधार पर झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है. अदालत ने उक्त टिणणी के बाद याचिका खारिज कर दी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णने पक्ष रखते हुए अवलत को बताया कि प्रार्थी एससी कैटेगरी में आती है.
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उसने स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा में एससी कैटेगरी में आवेदन दिया था, लेकिन झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया. उत्तर प्रदेश में वह जिस जाति से आती है, वह जाति झारखंड में भी है. इसलिए उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा. आयोग उनके संवैधानिक अधिकाएं से वंचित नहीं कर सकता है. वहीं आयोग की ओर से अधिवक्ता संजब पिपरवाल व अधिवक्ता राकेश रंजन ने पक्ष रखते हुए प्रथी की दलील का विशेध किया. उन्होंने अदालत को बताया कि विज्ञापन की शर्तों के अनुसार, झारखंड के स्थानीय निवासी को ही आरक्षण का लाभ मिल सकता है. प्रा्थ ने आने पति के नाम का जाति प्रमाण पत्र दिया था. प्रमाण पत्र के सत्यापन के समय उनसे आपने पिता के नाम का जाति प्रमाण पत्र देने को कहा गया. उन्होंग जाति प्रमाण पत्र अपने पिता के नाम का दिया. वह प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश की अथॉरिटी द्ारानिगत था. जाति समान थी. इसे रद कर दिया गया. विवाह के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया सकता है. उल्लेखनीय हैकि प्राथी कुमारी आरती ने याचिका दायर की थी.
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