नवरात्र का अंतिम दिन आज, कैसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा.
Team Drishti.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!शारदीय नवरात्र का आज अंतिम दिन है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा और अर्चाना का विधान है। जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट हो रहा है कि मां सभी प्रकार की सिद्धी और मोक्ष को देने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले पूजा करते हैं। नवरात्र के अंतिम दिन मां की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करने वाले उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही यश, बल और धन की भी प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री के बारे में विशेष बातें.

मां सिद्धिदात्री के पास हैं ये 8 सिद्धियां
मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। ये आठों सिद्धियां मां की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को मां से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई हैं। हनुमान चालिसा में इन्हीं आठ सिद्धियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ‘अष्टसिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन्ह जानकी माता’।

भगवान शिव ने इनके लिए की थी तपस्या
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने भी इन्ही देवी की कठिन तपस्या कर इनसे आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा से महादेव का आधा शरीर देवी की हो गई थी और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। नवरात्र के नौवें दिन इनकी पूजा के बाद ही नवरात्र का समापन माना जाता है। नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन और नौ प्रकार के फल फूल आदि का अर्पण करके नवरात्र का समापन करना चाहिए।

ऐसा है माता का स्वरूप
देवी भागवत पुराण के अनुसार, महालक्ष्मी की तरह मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान रहती हैं और इनके चार हाथ हैं। जिनमें वह शंख, गदा, कमल का फूल तथा चक्र धारण किए रहती हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती है.

भाग्य उदय के लिए इनकी करें पूजा
दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय के साथ मां सिद्धिदात्री की पूजन करना चाहिए। इस दिन मौसमी फल, हलवा-चना, पूड़ी, खीर और नारियल का भोग लगाया जाता है। साथ ही नवरात्र के अंतिम दिन उनके वाहन, हथियार, योगनियों और अन्य देवी-देवताओं के नाम से हवन-पूजन करना चाहिए, इससे मां प्रसन्न होती हैं और भाग्य का उदय भी होता है। बैंगन या जामुनी रंग पहनना शुभ रहता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।

इस तरह करें कन्या पूजन
मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं का घर बुलाकर उनके पैर धोकर आशीर्वाद लेना चाहिए और फिर मंत्र द्वारा पंचोपचार पूजन करना चाहिए। इसके बाद सभी कन्याओं को हलवा-पूरी, चने और सब्जी दें। भोजन कराने के बाद उनका लाल चुनरी उड़ाएं और फिर रोली-तिलक लगाकर कलावा बांधें। फिर समार्थ्यनुसार कोई भेंट व दक्षिणा देकर चरण स्पर्श करते हुए विदा करना चाहिए। जो भक्त कन्या पूजन कर नवरात्र के व्रत का समापन करता है, उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
अर्थात सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, असुर और अमरता प्राप्त देवों के द्वारा भी पूजित किए जाने वाली और सिद्धियों को प्रदान करने की शक्ति से युक्त मां सिद्धिदात्री हमें भी आठों सिद्धियां प्रदान करें।





