भारत की पहली बार: टाइगरों के लिए 2 किमी लाल कार्पेट बिछा दिया! भारत का पहला वाइल्ड लाइफ सेफ हाइवे ।
भारत की पहली बार: टाइगरों के लिए 2 किमी लाल कार्पेट बिछा दिया! भारत का पहला वाइल्ड लाइफ सेफ हाइवे ।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भोपाल/जबलपुर, मध्य प्रदेश ने एक बार फिर देश को पर्यावरण संरक्षण का अनूठा मॉडल दिया है। भोपाल-जबलपुर नेशनल हाईवे (NH-44) पर नरसिंहपुर-जबलपुर के बीच वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से गुजरने वाली करीब 2 किलोमीटर लंबी चार-लेन सड़क को पूरी तरह लाल रंग से रंग दिया गया है।यह देश का पहला ऐसा हाईवे सेगमेंट है, जहां पूरी सड़क को ही “टेबल-टॉप स्पीड ब्रेकर” की तरह डिजाइन कर लाल रंग की रिफ्लेक्टिव मार्किंग की गई है। इसका एकमात्र उद्देश्य – जंगली जानवरों की जान बचाना और वाहनों की रफ्तार अपने आप कम कराना।
क्यों बनाई गई “लाल पट्टी”?
इस इलाके में बाघ, तेंदुआ, स्लॉथ बियर, हिरण, नीलगाय समेत कई दुर्लभ वन्य प्राणी अक्सर सड़क पार करते हैं
रात के समय हादसे सबसे ज्यादा होते थे
सामान्य स्पीड ब्रेकर या साइनबोर्ड से ड्राइवर प्रभावित नहीं हो रहे थे
समाधान:
NHAI और मध्य प्रदेश वन विभाग ने मिलकर पूरी 2 किमी सड़क को ही “एक्सीडेंटल जोन” घोषित कर दिया और उसे चमकदार लाल रंग से रंग दिया। अब दूर से ही ड्राइवरों को लगता है कि सामने बड़ा स्पीड ब्रेकर है, जिससे वे स्वतः ब्रेक लगा लेते हैं।
ड्रोन से देखें तो लगता है जंगल में किसी ने लाल कार्पेट बिछा दिया हो!सोशल मीडिया पर ड्रोन से लिया गया वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। हरे-भरे जंगल के बीच में 2 किलोमीटर लंबी चमकती लाल पट्टी देख हर कोई हैरान है। लोग इसे प्यार से “टाइगरों का लाल कार्पेट” कह रहे हैं।मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राण) जे.एस. चौहान ने बताया,
“यह देश में अपनी तरह की पहली पहल है। हमने सड़क को हथियार नहीं, बल्कि वन्यजीवों का सुरक्षा कवच बनाया है। अब तक के आंकड़ों में इस सेगमेंट में वन्यजीव हादसों में 80% से ज्यादा की कमी आई है।”NHAI के परियोजना निदेशक ने कहा, “रिफ्लेक्टिव पेंट दिन में भी चमकता है और रात में हेडलाइट पड़ते ही पूरा सेगमेंट लाल हो उठता है। ड्राइवर बिना किसी बोर्ड के ही सतर्क हो जाते हैं।”यह सड़क अब न केवल वन्यजीवों के लिए सुरक्षित गलियारा बन गई है, बल्कि पर्यावरण और विकास के सामंजस्य का जीता-जागता उदाहरण भी बन गई है।





