अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बैंगलोर में सम्पन , झारखंड से 33 कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया
आपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक 21-23 मार्च को बेंगलुरु के चन्नेनहल्ली में आयोजित हुई, जिसमें संघ की शताब्दी वर्ष की योजनाओं, प्रस्तावों, और गतिविधियों पर चर्चा हुई। बैठक में झारखंड के 33 कार्यकर्ताओं सहित देश भर से प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
मुख्य बिंदु:
- प्रस्ताव और संकल्प: बांग्लादेश के हिंदू समाज के प्रति एकजुटता और शताब्दी वर्ष के लिए विश्व शांति व समृद्धि हेतु संगठित हिंदू समाज के निर्माण का संकल्प पारित हुआ
- अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक का महत्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यह बैठक उसकी सर्वोच्च नीति-निर्धारण इकाई है। इसमें देश भर से चयनित प्रतिनिधि, विभिन्न संगठनों के अखिल भारतीय अधिकारी, और संघ के शीर्ष नेतृत्व (जैसे सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले) शामिल होते हैं। यह बैठक संघ के वार्षिक कार्यों की समीक्षा, भविष्य की योजनाओं का निर्धारण, और सामाजिक-राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रस्ताव पारित करने का मंच है। इस वर्ष बेंगलुरु के चन्नेनहल्ली में 21-23 मार्च को आयोजित बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह संघ के शताब्दी वर्ष (100वें वर्ष) की तैयारियों का प्रारंभिक चरण थी।
3. प्रस्ताव और संकल्प का विस्तार
- बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता: यह प्रस्ताव बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनकी सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने का आह्वान करता है। संघ ने इसे मानवीय और धार्मिक एकता के दृष्टिकोण से उठाया, जिसमें हिंदू समाज को संगठित करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी आवाज़ बुलंद करने की बात है।
- शताब्दी संकल्प – विश्व शांति और समृद्धि: संघ का मानना है कि एक समर्थ और संगठित हिंदू समाज ही विश्व में शांति और सामूहिक समृद्धि का आधार बन सकता है। इसके लिए सामाजिक जागरूकता, स्वदेशी जीवनशैली, और पर्यावरण संरक्षण जैसे मूल्यों को बढ़ावा देना लक्ष्य है।
4 शताब्दी वर्ष की योजनाओं का विस्तृत विवरण
संघ अपने 100वें वर्ष (2025-26) को भव्य रूप से मनाने की तैयारी कर रहा है। ये योजनाएं निम्नलिखित हैं:
- विजयादशमी 2025 पर संचलन: पूर्ण गणवेश में मंडल, बस्ती, खंड, नगर, और जिला स्तर पर स्वयंसेवकों का संचलन (मार्च) होगा। यह संघ की एकता और अनुशासन का प्रदर्शन है, जो समाज में प्रेरणा और संगठन की भावना जगाएगा।
- घर-घर संपर्क: स्वयंसेवक हर घर तक पहुँचकर संघ के विचारों, पंच परिवर्तन, और सामाजिक एकता का संदेश फैलाएंगे।
- हिंदू सम्मेलन: विभिन्न क्षेत्रों में हिंदू समाज को एक मंच पर लाने के लिए सम्मेलन होंगे, जिसमें सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा।
- प्रबुद्ध जन गोष्ठी: शिक्षित और प्रभावशाली व्यक्तियों (जैसे शिक्षक, डॉक्टर, प्रोफेसर) के साथ बैठकें होंगी ताकि समाज के प्रबुद्ध वर्ग को संघ के उद्देश्यों से जोड़ा जा सके।
- सामाजिक सद्भाव बैठकें: विभिन्न जातियों, समुदायों, और वर्गों के बीच समरसता बढ़ाने के लिए विशेष आयोजन होंगे।
- शाखा आयोजन (25 सितंबर – 10 अक्टूबर 2026): एक सप्ताह तक देश भर में अधिकतम स्थानों पर सभी आयु वर्ग के स्वयंसेवकों की शाखाएं लगेंगी। यह संघ की मूल इकाई है, जहाँ शारीरिक, बौद्धिक, और नैतिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
- युवा कार्यक्रम: युवाओं को जोड़ने के लिए खेल, सांस्कृतिक आयोजन, और प्रेरक गतिविधियाँ होंगी।
पंच परिवर्तन: इन सभी कार्यक्रमों में स्वदेशी (स्थानीय उत्पादों का प्रयोग), कुटुंब प्रबोधन (पारिवारिक मूल्यों का जागरण), सामाजिक समरसता (सामाजिक एकता), पर्यावरण (प्रकृति संरक्षण), और नागरिक कर्तव्य (सामाजिक जिम्मेदारी) पर जोर रहेगा।
5. कार्य विस्तार का आँकड़ों के साथ विश्लेषण
- राष्ट्रीय स्तर: वर्तमान में देश भर में 51,710 स्थानों पर 83,129 शाखाएं, 32,147 मिलन (साप्ताहिक बैठकें), और 12,091 मंडलियां (छोटे समूह) हैं। पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या बढ़ी है,
- झारखंड प्रांत: 879 स्थानों पर 1,411 शाखाएं, मिलन, और मंडलियां हैं। यहाँ भी विस्तार हुआ है,
- . झारखंड प्रांत की भूमिका
- प्रतिनिधि सभा में योगदान: झारखंड से 33 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और प्रांत का वृत्त (रिपोर्ट) प्रस्तुत किया।
- संघ शिक्षा वर्ग: 24 मई से 9 जून 2025 तक हजारीबाग के सरस्वती विद्या मंदिर में सामान्य प्रशिक्षण वर्ग होगा। यह स्वयंसेवकों को शारीरिक और वैचारिक प्रशिक्षण देगा।
- बिरसा मुंडा जयंती: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती पर सभी शाखाओं में कार्यक्रम होंगे, जो झारखंड के आदिवासी इतिहास और संघर्ष को सम्मान देंगे।