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आजसू पार्टी में पतझड़ का मौसम ,संकट गहराया: विजय साहू , सुरेंद्र महतो , पवन साहू के बाद अब आजसू के केंद्रीय महासचिव रीना गोडसोरा ने भी छोड़ा साथ

आजसू पार्टी में पतझड़ का मौसम ,संकट गहराया: विजय साहू , सुरेंद्र महतो , पवन साहू के बाद अब आजसू के केंद्रीय महासचिव रीना गोडसोरा ने भी छोड़ा साथ

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रांची, 21 जुलाई 2025: ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के अंदर  इन दिनों पतझड़ का मौसम चल रहा  है। एक एक कर पुराने नेता युवा साथी आजसू से अलग होकर अपनी नई राह तलाश रहे है । अभी तक जो जानकारी है उसमें 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के कई पुराने और प्रभावशाली नेता संगठन से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। हाल के दिनों में विजय साहू, पवन साहू, और केंद्रीय महासचिव रीना गोडसोरा जैसे नेताओं के इस्तीफों ने पार्टी के भीतर और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

विजय साहू का इस्तीफा: संगठन की दिशा पर सवाल

रामगढ़ के पूर्व जिला अध्यक्ष विजय कुमार साहू, जो पार्टी के एक प्रमुख ओबीसी चेहरे और प्रभावशाली वक्ता के रूप में जाने जाते हैं, ने हाल ही में आजसू से इस्तीफा दे दिया। मांडू, रामगढ़, और बड़कागांव विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। उनके अचानक इस्तीफे ने संगठन के नेतृत्व और रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय साहू का जाना आजसू के लिए बड़ा झटका है, खासकर ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिहाज से।

पवन साहू और सुरेंद्र महतो का पार्टी छोड़ना

विजय साहू के इस्तीफे के साथ ही मांडू विधानसभा क्षेत्र के डाड़ी निवासी और आजसू के सक्रिय कार्यकर्ता पवन साहू ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया। इसके अलावा, सुरेंद्र महतो के झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मंच (जेएलकेएम) में शामिल होने की खबर ने पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं के मनोबल को और कमजोर किया है।

केंद्रीय महासचिव रीना गोडसोरा ने भी छोड़ा साथ

आजसू की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। पार्टी की केंद्रीय महासचिव डॉ. रीना गोडसोरा ने भी अपने पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सुदेश महतो को लिखे पत्र में कहा, “पिछले दो वर्षों में मैंने तन, मन, धन से पार्टी की सेवा की, लेकिन कुछ व्यक्तिगत कारणों से मैं अपने सभी पदों से इस्तीफा दे रही हूं।” सोनुआ ब्लॉक, पश्चिमी सिंहभूम निवासी रीना गोडसोरा का इस्तीफा पार्टी के लिए एक और बड़ा नुकसान माना जा रहा है।

 

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आजसू के सामने चुनौतियां

2024 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद आजसू अपनी खोई ताकत को पुनः हासिल करने की कोशिश में जुटी थी, लेकिन लगातार हो रहे इस्तीफों ने संगठन को बैकफुट पर ला दिया है। पार्टी के सामने अब नेतृत्व संकट, कार्यकर्ताओं में असंतोष, और क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने की चुनौती है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आजसू को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतने की जरूरत है, अन्यथा पार्टी का आधार और कमजोर हो सकता है। और JLKM अपनी ताकत को मजबूत कर जोरदार तरीके से 2029 में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है । फिलहाल, इन इस्तीफों ने झारखंड की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।

 

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