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प्रेरणाश्रोत: रांची के एक दम्पत्ति ने बेसहारा मासूम को दी जिंदगी की नई उड़ान

दुनिया में बहुत से मासूम बच्चों को माता- पिता का प्यार- दुलार, सर पर छत, खाने को पौष्टिक युक्त आहार और तन को ढकने के लिए अच्छा वस्त्र भी नसीब नहीं होता है। ऐसे बच्चों के लिए या तो अनाथालय या तो झुग्गी- झोपड़ी या फिर सड़क किनारे ठेले- खोमचे या होटलों या रसूखदारों के घरों में बाल मजदूरी का काम ही एकमात्र सहारा होता है। वर्तमान कोरोना काल में भी समाज में कई ऐसे बच्चे हैं जो अपना सर्वस्व खोकर अनाथ हो गए हैं और उनके समक्ष भी कुछ ऐसी मजबूरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी सच्ची प्रेरक कहानी बताएंगे जो समाज को आईना दिखाने का काम करता है ।
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झारखंड की राजधानी रांची के निवारणपुर निवासी एक दंपत्ति मुकेश कुमार और उनकी धर्मपत्नी रीमा सिन्हा अनुसूचित जनजाति परिवार की एक बच्ची मनीषा कुमारी और मुन्नी के लिए उम्मीद की किरण बनकर महज 4 वर्ष की उम्र में उसका हाथ थामे। इस दंपत्ति का खुद का औलाद होते हुए इन्होंने मुन्नी को पलकों पर बिठाकर अपने साथ रखा और माता- पिता की तरह उसका लालन-पालन कर उसे लाड़- दुलार और प्यार दिया। जब इन्होंने मुन्नी का दामन थामा था तब उसके सिर से ममता की आंचल छिन चुकी थी (मतलब उसकी मां की मृत्यु हो गई थी)। मां की मृत्यु के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर अपना अलग घर बता लिया था। ऐसे में मासूम मुन्नी अकेली हो गई थी। दंपत्ति मुकेश कुमार और रीमा सिन्हा ना सिर्फ मुन्नी को अपने औलाद की तरह लालन-पालन किया बल्कि उसकी शिक्षा-दीक्षा का भी पूरा ध्यान रखा। उन्होंने मुन्नी को ब्यूटीशियन और कुकीज़ का प्रशिक्षण भी करवाया। मुन्नी के वयस्क होने के उपरांत उसके लिए इस दंपत्ति ने सच्चे और अच्छे माता पिता की तरह वर तलाश कर बीते दिनों कोविड-19 गाइडलाइन के सुरक्षा नियमों का अनुपालन करते हुए मुन्नी के हाथ पीले कर उसे एक नई जिंदगी जीने के लिए उसका घर बसा दिया। मुन्नी का कन्यादान खुद मुकेश कुमार और उनकी धर्मपत्नी रीमा सिन्हा ने वाईएमसीए वी टी सी कैंपस में आयोजित सादे वैवाहिक कार्यक्रम में पूरे विधि विधान से भीम सिंह मुंडा और उनकी धर्मपत्नी मुन्नी सिंह मुंडा के पुत्र अजय सिंह मुंडा के साथ 11 सामाजिक लोगों की उपस्थिति में हिंदू रीति- रिवाज से किया। इस नेक दिल और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग दंपत्ति ने मुन्नी को विदा करते वक्त एक सामान्य घर के लिए काम में आने वाली तमाम जरूरी सामानों को भेंटकर देकर उसके सुख में दांपत्य जीवन की कामना की और डबडबाई आंखों से इस बेटी को एक नया घर – परिवार बसाने के लिए उड़ान भर दी .
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दंपत्ति मुकेश कुमार व रिमा सिन्हा के इस दरियादिली और सराहनीय कार्य की सराहना निवारणपुर इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। वाकई इनके नेक सोच से जहां बच्चियों के प्रति ममत्व के अनोखा भाव जागृत होता है वहीं समाज के हर सक्षम लोगों को एक संदेश भी देता है की अगर आपने क्षमता है और आप अपने जीवन में कुछ बेहतर मानवीय कार्य करना चाहते हैं तो ऐसे मासूम बच्चे जो मुफसीली और बदनसीबी के कारण अपने बचपन और मासूमियत को खो देते हैं उनकी जिंदगी के लिए उम्मीद की किरण बनकर उनका हाथ थाम सकते हैं और उनकी जिंदगी बदल सकते हैं। हम दंपत्ति मुकेश कुमार व रिमा सिन्हा के दिलेरी को सलाम करते हैं ।

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