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ED की नजर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर, पिछले साल साहिबगंज में रद्द और पुनः बहाल क्रशर के दस्तावेज मांग सकता है

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय यानि ED जल्द ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) को पिछले साल साहिबगंज जिले में 69 स्टोन क्रशर और खनन इकाइयों के संचालन की सहमति (सीओटी) को रद्द करने फिर 23 क्रशर को COT बहाल करने से संबंधित सभी दस्तावेज पेश करने की नोट्स भेज सकती है

 

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रिपोर्ट्स के मुताबिक ईडी जेएसपीसीबी को खनन से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए ईडी के साथ समन्वय करने के लिए एक नोडल अधिकारी की मांग भी कर सकता है। इसका मतलब है कि ईडी जेएसपीसीबी के अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगा की कहीं पॉलुशन बोर्ड का अवैध खनन में किसी तरह का भी कहीं कोई मिलीभगत तो नहीं है।

 

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गौरतलब है की खनन विभाग की निलंबित सचिव पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही ईडी अवैध खनन के मामले की भी जांच कर रही है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का पालन न करने के आधार पर सीओटी को वापस ले लिया गया था। लेकिन बाद में 23 यूनिट के सीओटी को बहाल कर दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड साहिबगंज के दस्तावेजों के अनुसार कुल 212 स्टोन माइंस और 402 स्टोन क्रशर हैं।

 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सबसे दिलचस्प बात यह है कि जेएसपीसीबी ने रिकॉर्ड पांच दिनों के भीतर स्टोन क्रेशर इकाइयों का तकनीकी निरीक्षण किया। इसने जाहिर तौर पर ईडी की उत्सुकता जगा दी है। सभी व्यक्तिगत स्टोन क्रेशर संचालकों को सीओटी निरस्तीकरण आदेश जारी क्रशर मालिकों ने सोचा की क्या जेएसपीसीबी मूल्यांकन टीम के लिए पांच दिनों के भीतर सभी साइटों का दौरा करना शारीरिक रूप से संभव था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेएसपीसीबी की टीम ने 02/11 / 2020 से 07/11/2020 के बीच साहिबगंज की खानों और क्रशरों का दौरा किया था और उनका आकलन किया था और उसके क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा साइट पर आपकी इकाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 24/11/ 2020 को बोर्ड के मुख्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए यह आदेश जेएसपीसीबी के सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास ने अगस्त 2021 में जारी किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक व्यापारिक समुदाय के एक वर्ग ने आरोप लगाया कि जेएसपीसीबी की कार्रवाई का उद्देश्य संथाल परगना की खनन लॉबी के हितों को पूरा करना था, जो की अब चल रही मनी-लॉन्ड्रिंग जांच में प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में है।

 

गौरतलब है की निर्दलीय विधायक सरयू राय द्वारा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जब मामला उठाया गया तो हेमंत सोरेन सरकार ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के मद्देनजर ऐसा किया गया है. JSPCB ने प्रदूषण नियमों का पालन न करने के आधार पर 69 स्टोन क्रशर इकाइयों के संचालन की सहमति (COT) को रद्द कर दिया। बाद में, जेएसपीसीबी ने 23 स्टोन क्रेशर इकाइयों के सीओटी को बहाल किया।

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