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 नशे की लत से युवाओं का भविष्य खतरे में, स्वास्थ्य मंत्री ने जताई चिंता, कहा नशा करने वाले बच्चो को पता होता है ड्रग्स, अफीम , ब्राउनसुगर कहाँ मिलता है, लेकिन पुलिस को पता नही होता ऐसा क्यों ? 

नशे की लत से  युवाओं का भविष्य खतरे में, स्वास्थ्य मंत्री ने जताई चिंता, कहा नशा करने वाले बच्चो को पता होता है, ड्रग्स, अफीम , ब्राउनसुगर कहाँ मिलता है लेकिन पुलिस को पता नही होता ऐसा क्यों ?

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रांची, : झारखंड की राजधानी रांची के केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) में नशा मुक्ति को लेकर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने युवाओं में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हैरत की बात है की नशा करने वाले बच्चो को पता होता है की ड्रग्स, गांजा कहाँ मिलता है लेकिन पुलिस को पता नही होता है आखिर ऐसा क्यों ? उन्होंने कहा की नशे की लत ने आज की युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में ले लिया है, जो न केवल सामाजिक, बल्कि आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी संकट को भी जन्म दे रहा है।
नशे का बढ़ता प्रचलन: एक गंभीर चुनौती
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कफ सिरप, ड्रग्स, और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले युवाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। “मैं देखता हूं कि बच्चे और युवा कफ सिरप और ड्रग्स का दुरुपयोग करते हुए नजर आते हैं। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि यह न केवल उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकारमय बना रहा है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि नशे की लत एक सामाजिक बुराई है, जिसका प्रभाव परिवारों और समाज पर भी पड़ रहा है। सीआइपी जैसे संस्थानों में हर साल हजारों मरीज नशा मुक्ति के लिए इलाज लेने आते हैं, जिसमें अधिकांश युवा हैं। वर्ष 2022 में सीआइपी में लगभग 5,000 मरीज नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए आए थे, जिनमें से 40% (लगभग 2,500-3,000) सूखे नशे (जैसे ब्राउन शुगर, अफीम, आदि) की लत से पीड़ित थे।
नशा मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी
मंत्री ने नशा मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों, और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। “हमें नशे के खिलाफ कार्यशालाएं, रैलियां, पोस्टर अभियान, और काउंसलिंग जैसे ठोस कदम उठाने होंगे।” उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों, और सामाजिक संगठनों से अपील की कि वे इस अभियान को एक निरंतर प्रक्रिया बनाएं, न कि केवल औपचारिकता तक सीमित रखें।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि पुलिस प्रशासन नशे के तस्करों के खिलाफ लगातार छापेमारी कर रहा है, लेकिन नशे की आसान उपलब्धता और सामाजिक स्वीकार्यता इसे और जटिल बना रही है। उन्होंने कहा, “नशे की उपलब्धता को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत है। इसके साथ ही, समाज को जागरूक करना होगा कि नशा एक बीमारी है, जिसका इलाज संभव है।”
सीआइपी और रिनपास की भूमिका
केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) और रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंसेस (रिनपास) नशा मुक्ति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सीआइपी के नशा मुक्ति केंद्र के इंचार्ज डॉ. एसके मुंडा ने बताया कि स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि अधिकांश मरीज युवा हैं। “हमारे पास हर दिन मरीज आते हैं, और इनमें से ज्यादातर युवा हैं जो नशे की लत के शिकार हैं। कई बार पैसे की कमी के कारण वे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो जाते हैं,” उन्होंने कहा।
रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा ने भी बताया कि नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। “युवाओं को नशे से बचाने के लिए हमें उनके परिवारों और समाज के साथ मिलकर काम करना होगा। काउंसलिंग और पुनर्वास की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने की जरूरत है,”
सरकार की पहल और भविष्य की योजनाएं
स्वास्थ्य मंत्री ने नशा मुक्ति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रही है। इसके अलावा, स्कूलों और कॉलेजों में नशे के दुष्प्रभावों को लेकर विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे।
मंत्री ने यह भी घोषणा की कि नशे की लत से पीड़ित लोगों के लिए मुफ्त काउंसलिंग और इलाज की सुविधा को और सुलभ बनाया जाएगा। “हमारा लक्ष्य झारखंड को नशा मुक्त बनाना है। इसके लिए हमें न केवल इलाज, बल्कि रोकथाम पर भी ध्यान देना होगा,” उन्होंने कहा।
समाज से अपील
इरफान अंसारी ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे नशे के खिलाफ एकजुट हों। “यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। माता-पिता, शिक्षक, और सामाजिक संगठनों को भी आगे आना होगा। हमें अपने बच्चों को नशे से बचाने के लिए उन्हें सही दिशा दिखानी होगी,” उन्होंने कहा।
गौरतलब है की युवाओं में बढ़ती नशे की लत एक गंभीर सामाजिक संकट बन चुका है। रांची के केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान जैसे संस्थान इस दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए सामूहिक और निरंतर प्रयासों की जरूरत है।

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