Img 20201220 Wa0040

किसान आंदोलन के समर्थन में और कृषि बिल के खिलाफ छात्र संगठन सड़क पर उतरी, रैली निकाली, सभा की.

लातेहार, मो०अरबाज.

लातेहार : किसान विरोधी केंद्रीय कृषि बिल के खिलाफ देश भर में चलाए जा रहे किसानों के आंदोलन के समर्थन में एवं किसान विरोधी कृषि बिल के खिलाफ छात्र संगठन स्टुडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने बजारटांड़ से रैली निकाली, मुख्य शहर का भ्रमन करते हुए जिला मुख्यालय पहुंचकर सभा मे तब्दील हो गई, इसमें शामिल छात्र किसान विरोधी कृषि बिल वापस लो, किसान विरोधी मोदी सरकार मुर्दाबाद, छात्र संगठन एसएफआई जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, रैली का नेतृत्व एसएफआई के राज्य कमिटी सदस्य बदरू दोजा कर रहे थे, सभा की अध्यक्षता एसएफआई राज्य कमिटि सदस्य मुनाजिर खान ने की, सभा के क्रम में किसान आंदोलन में शहिद हुए किसानों के प्रति दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

एसएफआई के बदरू दोजा, मुनाजिर खान ने कहा कि केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार की कृषि कानून किसान विरोधी हैं, इसमें खामी नहीं है तो भाजपा सरकार इसमें संशोधन करने की आश्वासन किसानों को क्युं दे रही है, किसानों की उपजाऊ फसल खाकर आज किसानों की आंदोलन का विरोध कर उसे नासमझ बता रहे हैं, किसान शिर्फ इतना मांग रहे हैं कि न्युन्तम समर्थन मूल्य को कानुनी जामा पहना दो, एमएसपी के निचे जो फसल खरीदेगी वह उसे अपराध के श्रेणी में माना जाय यह मांग किसानों का गलत नहीं है, किसानों की फसल को जमाखोरी कर स्टॉक में रखा जाएगा, किसान कि फसल बजार में आने से पहले स्टॉक मे रखे फसल को बजार में उतार दिया जाएगा इससे किसानों की फसल का भाव गिर जाएगा, किसानों के उसके फसल का लागत दाम भी नहीं मिलेगा, किसानों को अपनी फसल औने पौने दामों में बेचना पड़ेगा, किसानों को लागत दाम नहीं मिलेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट शम्स कमर खान ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को बर्बाद और तबाह करना चाह रही है, आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब छोटे-बड़े लगभग 500 किसान संगठन एक साथ आयें हैं और क़ृषि क़ानून के खिलाफ एकजुट हैं, भीम आर्मी जिला अध्यक्ष बिरेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार अडाणी और अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों के निर्देश पर काम कर रही है, क्योंकि इन कानूनों के सारे फायदे कॉरपोरेट को ही मिलेंगे, उन लोगों ने हजारों एकड़ जमीनें खरीदने के साथ गोदाम बनाने शुरू कर दिये हैं, यही वजह है कि सरकार इन कानूनों को रद्द करना नहीं चाहती, 70 सालों से चल रहे 44 श्रम कानूनों को एक झटके में समाप्त कर दिया और मजदूरों का हक छीन लिया।

भाकपा माले गोपाल प्रसाद ने कहा कि किसान विरोधी कृषि कानूनों को समाप्त क्यों नहीं किया जा सकता है, सरकार किसान संगठनों से वार्ता को लंबा खींच रही है तथा किसानों की बात सुनने की बजाय अपनी बातें थोपना चाह रही है, माकपा के वरिष्ठ नेता अयुब खान, अहद खान, मुर्तजा अंसारी, खुर्शीद अंसारी, साबीर अंसारी ने कहा है कि बीमारी टीबी की है और सरकार हैजा की दवा पिला रही है, ऐसे में आंदोलन जारी रखना किसानों की मजबूरी है, खेती – किसानी हमारी संस्कृति है और जीवन पद्धति भी है, यह कानून किसानों के लिए मौत का फरमान है, इसलिए किसान विरोधी तीनों क़ृषि कानूनों को रद्द करना ही किसान के हित में होगा।

इस कार्यक्रम में अजहर आलम, राजीव रंजन, अजीत रवी, अकरम रजा, शाहिद अफरीदी, नय्यर कमर, सरवर चिश्ती, रिजवान आलम, इमरान, मो0 फिरोज, मो0 तौसीफ, मो0 अरमान, मो0 चांद, मो0 छोटु, मो0 रजा, इरसाद अंसारी, मो0 नाजिम समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via