लातेहार में किसानों का अनिश्चितकालीन जल समाधि सत्याग्रह, चटुआग डैम में खड़े होकर उठाईं फ्लाई ओवरब्रिज की मांग
अशीष वैद्य, लातेहार
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!झारखंड के लातेहार जिले में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन जल समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया है। टोरी-चंदवा एनएच-99 (न्यू 22) पर फ्लाई ओवरब्रिज और फुट ब्रिज निर्माण सहित कई मांगों को लेकर किसान चटुआग डैम के ठंडे पानी में खड़े होकर आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटकर खड़ी हैं, जिससे उनका हौसला और बढ़ रहा है।
किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे जल समाधि लेने को मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार, राज्य सरकार और रेलवे विभाग की होगी। आंदोलनकारी किसानों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
टोरी-चंदवा एनएच-99 पर फ्लाई ओवरब्रिज का निर्माण
किसानों ने मांग की है कि फ्लाई ओवरब्रिज के लिए नए प्राक्कलन को स्वीकृति देकर तत्काल टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाए और निर्माण कार्य चालू हो।
मुआवजा राशि में वृद्धि
फ्लाई ओवरब्रिज के लिए अधिग्रहित भूमि और मकानों का पुनर्मूल्यांकन कर रैयतों को उचित मुआवजा दिया जाए।
बंद पड़े फुट ब्रिज का कार्य शुरू करना
टोरी जंक्शन के पश्चिम में बंद पड़े फुट ब्रिज का निर्माण कार्य तुरंत शुरू किया जाए।
अंडरब्रिज पास का निर्माण
टोरी रेलवे क्रॉसिंग के समीप और भंडारगढ़ा-परसाही रास्ते पर रेलवे पोल संख्या 182/28 व 182/29 के पास अंडरब्रिज पास बनाया जाए।
पैसेंजर ट्रेन की मांग
टोरी से बालूमाथ तक पैसेंजर ट्रेन चलाई जाए, ताकि स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा हो।
किसानों का कहना है कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 3 अप्रैल 2021 को टोरी-चंदवा फ्लाई ओवरब्रिज का शिलान्यास किया था, लेकिन चार साल बीत जाने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। इससे टोरी रेलवे क्रॉसिंग पर आए दिन लगने वाली जाम की समस्या से लाखों ग्रामीण परेशान हैं। इस जाम के कारण किसानों को अपनी उपज मंडी तक ले जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिससे फल और सब्जियां बर्बाद हो रही हैं।
आंदोलन में शामिल एक किसान ने कहा, “हमारी फसलें मंडी तक नहीं पहुंच पातीं, क्योंकि जाम में घंटों फंसना पड़ता है। सरकार ने वादा किया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। हम ठंडे पानी में खड़े होकर अपनी मांगें मनवाने को मजबूर हैं।”
किसानों ने एनएच विभाग और रेलवे की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी मांगें जायज हैं और इन्हें तुरंत पूरा किया जाना चाहिए। आंदोलनकारी ठंडे पानी में डटे हुए हैं और अपनी मांगें पूरी होने तक पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
स्थानीय प्रशासन और सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। यह आंदोलन न केवल किसानों की समस्याओं को उजागर कर रहा है, बल्कि क्षेत्र की आधारभूत संरचना की कमी को भी सामने ला रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस आंदोलन का जवाब कैसे देती है और किसानों की मांगों पर क्या कदम उठाए जाते हैं।









